लड़की की शादी से जुड़े 6 अधिकार, हर महिला को पता होने चाहिए
समाज में महिलाओं की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए कानून महिलाओं को कुछ अधिकार देता है। अधिकतर मामलों में वैवाहिक महिलाएं अविवाहित स्त्रियों की तुलना में दूसरों पर निर्भर होती हैं। उनके लिए फैसले परिवार के लौग ही लेते हैं। आत्मनिर्भरता न होने से महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी भी कम होती है और अपना हक मांगने के लिए आत्मविश्वास की कमी भी रहती है। ऐसे में महिलाओं को शादी से जुडे अपने कुछ अधिकारों के बारे में जरूर जान लेना चाहिए ताकि अपने जीवन को वह मनमुताबिक जी सकें और शादी के बाद दूसरों के फैसलों पर निर्भर न रहें। यह रहे महिलाओं के लिए शादी से जुड़े कुछ अधिकार।
स्त्री धन अधिकार
हर महिला को उसकी शादी के वक्त, गोद भराई या किसी रस्म के दौरान मिले सभी तरह के तोहफे, जेवर, कपड़े, पैसे या संपत्ति पर उसी महिला का हक होता है। बिना किसी जोर जबरदस्ती के शादी से पहले और शादी के बाद महिला को मिले सामान को स्त्री धन कहते हैं, जिस पर सिर्फ उसी का अधिकार होता है।
पैतृक संपत्ति अधिकार
विवाहित बेटी का अपने माता पिता की संपत्ति पर हक बनता है। शादी के बाद भी वह माता-पिता की संपत्ति की वारिस बन सकती है। चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित अन्य बच्चों की तरह उसका भी माता पिता की संपत्ति पर समान अधिकार होता है।
दहेज निषेध अधिकार
महिला के पास यह अधिकार है कि वह दहेज मांगे जाने पर केस दर्ज करा सकती है। दहेज लेने वाले और देने वाले दोनों ही अपराधी होते हैं। ऐसे में महिला अपने माता पिता या लड़के के माता पिता पर केस कर सकती है और उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
गर्भपात का अधिकार
महिला के पास ये अधिकार होता है कि वह शादी के बाद अगर मां नहीं बनना चाहती तो अपनी मर्जी से गर्भपात करवा सकती है। गर्भपात के लिए महिला को अपने पति या परिवार की रजामंदी की जरूरत नहीं होती।
विवाह का अधिकार
महिला से शादी या कोई संबंध बनाने के लिए उसके माता पिता समेत कोई भी जोर जबरदस्ती नहीं कर सकता है। महिला के पास कानूनी अधिकार होता है कि वह अपनी पसंद के शख्स से शादी कर सकती है।
पति पर अधिकार
विवाहित महिला को कानून ये अधिकार देता है कि अगर उन का पति किसी दूसरी स्त्री से मानसिक और शारीरिक संबंध बनाता है तो वह इसका विरोध कर सकती हैं। विवाहित महिला का पति किसी दूसरी महिला से संबंध नहीं बना सकता है।