‘रूस, भारत और चीन की तिकड़ी अभी भी अस्तित्व में’, ब्रिक्स समिट से पहले रूसी विदेश मंत्री लावरोव

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रूस-भारत और चीन यानी आरआईसी तिकड़ी के अस्तित्व की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि कई परिस्थितियों के कारण समूह की कुछ समय से बैठक नहीं हो पा रही है। इसके बावजूद त्रोइका एक स्वतंत्र प्रणाली बनी हुई है।

पीएम मोदी कल जाएंगे रूस
लावरोव ने यह बात एक समाचार आउटलेट को दिए इंटरव्यू में कही। इसे रूसी विदेश मंत्रालय ने साझा भी किया है। गौरतलब है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22-23 अक्तूबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए रूस का दौरा करेंगे। बता दें कि इस बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन रूस के कजान में किया जा रहा है। इस दौरे के दौरान पीएम मोदी ब्रिक्स सदस्यीय देशों के साथ द्विपक्षीय बैठक कर सकते हैं। पीएम मोदी इससे पहले जुलाई में भी रूस का दौरा कर चुके हैं।

उभर रहे आर्थिक विकास के नए केंद्र: लावरोव
इंटरव्यू के दौरान रूसी विदेश मंत्री ने कहा, ‘ब्रिक्स वैश्विक अर्थव्यवस्था में लंबे समय से चल रहे बदलावों का प्रतीक है। आर्थिक विकास के नए केंद्र उभर रहे हैं और उनके साथ-साथ वित्तीय प्रभाव भी हो रहा है, जो बदले में राजनीतिक प्रभाव लाता है। एक साल से अधिक समय से और वास्तव में कई दशकों से, वैश्विक विकास का केंद्र यूरो-अटलांटिक क्षेत्र से यूरेशिया और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थानांतरित हो रहा है। इस प्रवृत्ति को सबसे पहले एक निजी पश्चिमी बैंक के अर्थशास्त्रियों ने देखा, जिसने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की पहचान की। ब्रिक्स शब्द इस अध्ययन से उत्पन्न हुआ है, जो पूरी तरह से वस्तुनिष्ठ सांख्यिकीय डेटा पर आधारित है।’

‘तिकड़ी अभी भी अस्तित्व में’
उन्होंने आगे कहा, ‘यही वह समय था जब ब्रिक्स ने आकार लेना शुरू किया। 1990 के दशक में येवगेनी प्रिमाकोव द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया को पूरा किया। उन्होंने रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रोइका के ढांचे के भीतर नियमित बैठकें आयोजित करने की पहल का प्रस्ताव रखा। यह तिकड़ी अभी भी अस्तित्व में है। हालांकि महामारी और अन्य परिस्थितियों के कारण कुछ समय से बैठकें नहीं हुई हैं, लेकिन यह एक स्वतंत्र प्रणाली के रूप में कायम है।’

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