सरकारी सब्सिडी चिंता का विषय, आरबीआई गवर्नर बोले- जीडीपी पर पड़ सकता है असर
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों का पूंजीगत व्यय बढ़ रहा है, लेकिन उच्च सब्सिडी व्यय चिंता का विषय है।
दास मुंबई में आयोजित बीएफएसआई शिखर सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सब्सिडी व्यय बहुत अधिक है और पहली तिमाही में सरकारी व्यय जीडीपी को नीचे खींच रहा है। गवर्नर ने कहा, “सरकारी व्यय में वृद्धि शुरू हो गई है। केंद्र और राज्यों के राजस्व और पूंजीगत व्यय दोनों में वृद्धि शुरू हो गई है। सब्सिडी व्यय एक मुद्दा बना हुआ है।”
उन्होंने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में सरकार की सब्सिडी के लिए भुगतान बढ़ा है। सरकार ने वित्त वर्ष 25 में खाद्य सब्सिडी के लिए 2,05,250 करोड़ रुपये का बजट रखा है। यह 2023-24 के लिए 2,12,332 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 3% कम है। सरकार ने रबी सीजन के लिए पोषक तत्व आधारित उर्वरक सब्सिडी के लिए 24,475.53 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया है।
अप्रैल-जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत बढ़ी, जो RBI के 7.1 प्रतिशत पूर्वानुमान से कम है। 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही (Q2 2024-25) के लिए जीडीपी अनुमान 29 नवंबर को जारी होंगे। दास ने कहा कि उच्च सब्सिडी व्यय का जीडीपी पर प्रभाव पड़ेगा। गवर्नर ने कहा, ” हालांकि, मुझे लगता है कि आर्थिक गतिविधि काफी मजबूत बनी हुई है।”
आरबीआई ने भारत की 2024-25 की जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत आंकी है। आईएमएफ और विश्व बैंक के अनुसार यह 7.0 प्रतिशत रह सकती है। कई वैश्विक रेटिंग एजेंसियों और बहुपक्षीय संगठनों ने भी भारत के लिए अपने विकास पूर्वानुमानों को संशोधित किया है।
इस साल की शुरुआत में संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण ने “रूढ़िवादी रूप से” 2024-25 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5-7 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत की जीडीपी में 8.2 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि हुई, जो सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रही। 2022-23 में अर्थव्यवस्था में 7.2 प्रतिशत और 2021-22 में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
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