जांबाज पायलट मनीष मिश्रा… खुद की फिक्र न थी, ऐसे बचाई हजारों लोगों की जान; 16 साल का है अनुभव

आगरा:  आदमपुर एयरफोर्स स्टेशन से नियमित अभ्यास उड़ान के दौरान कागारौल में आकर गिरे मिग-29 विमान के पायलट विंग कमांडर मनीष मिश्रा फिलहाल कोई विमान नहीं उड़ा सकेंगे। इस हादसे के बाद पहले उच्चस्तरीय जांच की रिपोर्ट आने और फिर तकनीकी एवं साइक्लोजिकल जांचों से उन्हें गुजरना होगा।

रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह के मुताबिक अलग-अलग जांच एजेंसियों की रिपोर्ट आने में भी समय लगेगा, वहीं हादसे के बाद ट्रॉमा से निकलने में भी पायलट को वक्त लगेगा। ऐसे में विंग कमांडर मनीष मिश्रा को लगभग एक साल तक किसी विमान को उड़ाने की इजाजत नहीं मिल पाएगी। इस तरह के हादसों के बाद पायलट 8 से 12 महीने तक कई जांच कमेटियों के सवालों में ही घिरा रहा है। कई चरणों के साइक्लोजिकल टेस्ट के बाद ही उन्हें विमान उड़ाने की इजाजत दी जाएगी।

16 साल के अनुभवी पायलट हैं मनीष मिश्रा
बदायूं निवासी विंग कमांडर मनीष मिश्रा को विमान उड़ाने का 16 साल का अनुभव है। वह 20 दिसंबर, 2008 को भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग अफसर बने थे। जाम नगर एयरबेस पर उनकी पहली तैनाती थी। तीन साल पहले ही वह विंग कमांडर बने थे। वह लंबे समय से 28 वीं स्क्वाड्रन में मिग-29 विमान उड़ा रहे थे। ठीक एक साल पहले ही विंग कमांडर मनीष मिश्रा ने 8 अक्तूबर, 2023 को प्रयागराज के संगम क्षेत्र में हुए एयर शो में सूर्य किरण विमान से उड़ान भरी थी। मिग-29 हादसे के बाद वह अब अपने परिवार से भी मिल रहे हैं। उन्हें मिलिट्री हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जा चुका है।

संसद की रक्षा समिति की बैठक में उठेगा मामला
राजस्थान के बाड़मेर के बाद आगरा में मिग-29 विमान के गिरने का मामला संसद की रक्षा समिति की बैठक में रखा जाएगा। लड़ाकू विमानों के लगातार गिरने, इनके रखरखाव और हादसों पर लगाम लगाने के मुद्दे पर संसद की रक्षा समिति नई दिल्ली में दो दिन 21 और 22 नवंबर को मंथन करेगी। कागारौल के बघा सोनिगा गांव में गिरे मिग-29 विमान के मामले को देखते हुए राज्यसभा सांसद नवीन जैन समिति के साथ चर्चा करेंगे।

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