इन महिलाओं ने भारतीय संविधान के निर्माण में दिया विशेष योगदान
भारतआजादी से पहले ही 1946 में भारत के संविधान सभा की स्थापना हो गई थी। संविधान सभा के गठन का उद्देश्य लोकतांत्रिक राष्ट्र का निर्माण करना था। इस सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। संविधान का निर्माता डाॅ. भीमराव आंबेडकर को माना जाता है। वहीं संविधान सभा में पुरुषों के साथ ही कई महिलाओं की भूमिका भी रही। सभा में कई महिलाओं ने भी भाग लिया और अपने विचारों से संविधान निर्माण को समृद्ध किया। इन महिलाओं ने न केवल महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई, बल्कि एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज की नींव रखने में भी योगदान दिया। संविधान सभा में महिलाओं ने सक्रिय रूप से चर्चा में भाग लिया और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय दी। लैंगिक समानता, सामाजिक न्याय और शिक्षा जैसे विषयों पर महिला सदस्यों ने जोर दिया। आइए जानते हैं संविधान सभा में शामिल इन महिलाओं के बारे में।
1. अम्मू स्वामीनाथन
केरल के पालघाट जिले की रहने वाली अम्मू स्वामीनाथन ने 1946 में मद्रास निर्वाचन क्षेत्र से संविधान सभा का हिस्सा बनीं। 24 नवंबर 1949 को संविधान के मसौदे को पारित करने के लिए अपने भाषण में अम्मू ने कहा, ‘बाहर के लोग कह रहे हैं कि भारत ने अपनी महिलाओं को बराबर अधिकार नहीं दिए हैं। अब हम कह सकते हैं कि जब भारतीय लोग स्वयं अपने संविधान को तैयार करते हैं तो उन्होंने देश के हर दूसरे नागरिक के बराबर महिलाओं को अधिकार दिए हैं।”
2. सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू को “भारत कोकिला” के नाम से जाना जाता है। हैदराबाद में 13 फरवरी 1879 को सरोजिनी नायडू का जन्म हुआ था। सरोजिनी नायडु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष थीं। वहीं उन्हें भारतीय राज्य का गवर्नर भी नियुक्त किया गया था। वे संविधान सभा में महिला अधिकारों की प्रबल समर्थक थीं। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, समानता और राजनीतिक अधिकारों पर जोर दिया।
3. बेगम एजाज रसूल
संविधान सभा में एकमात्र मुस्लिम महिला बेगम एजाज रसूल थीं। भारत सरकार अधिनियम 1935 के लागू होने के साथ ही बेगम और उनके पति मुस्लिम लीग में शामिल हो गए और चुनावी राजनीति में उतरे। 1937 के चुनावों में वे यूपी विधानसभा के लिए चुनी गईं। बाद में जब 1950 में भारत में मुस्लिम लीग भंग हुई तो बेगम एजाज कांग्रेस में शामिल हो गईं। 1952 में वह राज्यसभा के लिए चयनित हुईं और 1969 से 1990 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य रहीं। 1967 से 1971 के बीच बेगम एजाज रसूल सामाजिक कल्याण और अल्पसंख्यक मंत्री रहीं। उन्हें साल 2000 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।
4. हंसा मेहता
हंसा मेहता का जन्म बड़ौदा में 3 जुलाई 1897 को हुआ था। उन्होंने इंग्लैंड में पत्रकारिता और समाजशास्त्र की पढ़ाई की। वह सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षिका और लेखिका भी थीं। 1926 में हंसा को बॉम्बे स्कूल कमेटी के लिए चुना गया। वहीं 1945-46 में हंसा अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की अध्यक्ष बनीं। संविधान सभा की सदस्य रहीं और इस दौरान उन्होंने समान नागरिक अधिकारों की वकालत की। हंसा मेहता ने ये सुनिश्चित किया कि संविधान में महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार मिले।