पूर्वोत्तर में बढ़ रहा है रेलवे का नेटवर्क, चीन को उसी की भाषा में जवाब देने को तैयार भारत

एक तरफ जहां चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सेना वापसी का ढोंग रच रहा है। दूसरी ओर सीमा पर तेजी से रेल और सड़कों का जाल बिछा रहा है। भारत ने भी अब चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी कर ली है। भारत ने अपनी सीमा क्षेत्र तक रेल और सड़क संपर्क को मजबूत करना तेज कर दिया है।

 

हालांकि, भौगोलिक स्थिति चुनौतीपूर्ण है। कुछ साल पहले, केंद्र सरकार ने एक बहु-चरणीय कनेक्टिविटी परियोजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य आठ उत्तर-पूर्वी राज्यों की राजधानियों को राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ना था। उसके नतीजे अब सामने आने लगे हैं। असम और त्रिपुरा पहले ही रेलवे के राष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ चुके हैं। 2025 तक पूर्वोत्तर के मिजोरम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश का पासीघाट, नगालैंड की राजधानी कोहिमा और मणिपुर की राजधानी इंफाल के करीब तक रेलवे का नेटवर्क पहुंच जाएगा, जबकि 2029 तक पूर्वोत्तर से सारे राज्य राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे।

इससे न केवल राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि लोगों का जीवन स्तर भी बदलेगा। इतना ही नहीं, दुर्गम सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुंचने में सुरक्षाबलों को आसानी होगी।  पूर्वोत्तर में रेलवे के विकास कार्यों का जायजा, और जाना कि किन-किन राज्यों में इस समय कौन से प्रोजेक्ट चल रहे हैं और उनकी स्थिति कैसी है…एक रिपोर्ट…

मिजोरमः कुतुब मीनार से भी ऊंचा है पुल

  • नामः भैरबी-साइरंग नई रेल लाइन
  • कुल लंबाई 51.38 किलोमीटर
  • कुल स्टेशनः चार
  • पुलः 55 बड़े पुल और 89 छोटे पुल हैं
  • समयः जुलारई, 2025

 

मिजोरम की राजधानी ऑइजोल को जोड़ने के लिए नई रेल लाइन भैरबी से साइरंग तक बिछाई जा रही है। इसकी कुल लंबाई 51.38 किलोमीटर है और इसमें चार स्टेशन होंगे। 93 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। परियोजना में कुल 55 बड़े पुल और 89 छोटे पुल हैं। पुल संख्या 196 के स्तंभ पी- 4परियोजना का सबसे ऊंचा स्तंभ है। इसकी ऊंचाई 104 मीटर है, जो कुतुब मीनार से 42 मीटर ऊंचा है। इस परियोजना में 5 रोड ओवर ब्रिज और 6 रोड अंडर ब्रिज भी शामिल हैं।

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