हाईकोर्ट में आपराधिक मामलों से निपटने के लिए ‘सुप्रीम’ सुझाव; एनसीपी नेता छगन भुजबल को राहत

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उच्च न्यायालयों में लंबित आपराधिक अपीलों की बड़ी संख्या से निपटने के लिए अनौपचारिक न्यायाधीशों की नियुक्ति का सुझाव दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की विशेष पीठ ने कई उच्च न्यायालयों में लंबित आपराधिक मामलों के आंकड़ों का हवाला दिया और कहा कि अकेले इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 63,000 आपराधिक अपीलें लंबित हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय में यह आंकड़ा 13,000 है, और इसी तरह कर्नाटक, पटना, राजस्थान और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालयों में क्रमशः 20,000, 21,000, 8,000 और 21,000 आपराधिक मामले लंबित हैं।

पीठ ने कहा कि वह 2021 के फैसले को आंशिक रूप से संशोधित कर सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाली खंडपीठों की तरफ से आपराधिक अपीलों पर फैसला करने के लिए अनौपचारिक न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाए। सीजेआई ने कहा कि यदि कोई उच्च न्यायालय न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 80 प्रतिशत के साथ काम कर रहा है तो वहां कोई अनौपचारिक न्यायाधीश नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘हमें केवल इस शर्त पर काम करना होगा कि अनौपचारिक न्यायाधीश उन पीठों पर बैठेंगे जो आपराधिक मामलों से निपट रही हैं और एक मौजूदा न्यायाधीश पीठासीन न्यायाधीश के रूप में… इस सीमा तक हमें उस संशोधन की आवश्यकता है,’ और 28 जनवरी को अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से सहायता करने के लिए कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका पर जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस से पूर्व पार्षद और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की याचिका पर जवाब मांगा, जिन्होंने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत मांगी है। मामले में जस्टिस पंकज मिथल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने दिल्ली पुलिस के वकील से कहा कि वे तैयार होकर आएं और अगली सुनवाई पर मामले पर बहस करें। पीठ ने कहा, ‘मान लीजिए, हम मानते हैं कि उसे नियमित जमानत मिलनी चाहिए, तो क्यों न हम कम से कम अंतरिम जमानत दे दें?’

पीठ ने कहा, ‘अगर हम इस स्तर पर संतुष्ट हैं कि मामला बनता है, तो अंतरिम जमानत क्यों नहीं? वह 4 साल 10 महीने से जेल में है। वह केवल भड़काने वाला है और भड़काने का यही आरोप उन नौ मामलों में है, जिनमें उसे जमानत दी गई है। आप इस पर आंखें मूंद नहीं सकते।’ फिलहाल मामले में सुनवाई 22 जनवरी को निर्धारित की गई है। इस दौरान हुसैन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि पूर्व पार्षद 4.10 साल से हिरासत में है और 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान भीड़ को उकसाना उसके खिलाफ एकमात्र आरोप था।

शीर्ष अदालत को बताया गया कि हुसैन पर 11 मामलों में एफआईआर दर्ज हैं और नौ मामलों में उसे जमानत मिल चुकी है। उसे 16 मार्च, 2020 को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। अदालत को यह भी बताया गया कि हुसैन की हिरासत के तीन साल बाद आरोप तय किए गए और अभियोजन पक्ष ने 115 गवाहों का हवाला दिया, जिनमें से केवल 22 की ही जांच की गई है।

मानहानि मामला: सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता को दिया छह सप्ताह का समय

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली भाजपा के एक नेता को दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की याचिका पर जवाब देने के लिए छह सप्ताह का समय दिया, जिसमें मतदाताओं के नाम हटाने पर उनकी कथित टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ मानहानि का मामला रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने शिकायतकर्ता राजीव बब्बर के वकील की तरफ से अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगे जाने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी। पिछले साल 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राजीव बब्बर को नोटिस जारी करते हुए निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। राजीव बब्बर ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शिकायत दर्ज नहीं की है, बल्कि एक राजनीतिक दल भाजपा के अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने अपने दावे के समर्थन में 16 जनवरी, 2019 का प्राधिकरण पत्र भी पेश किया।

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