टीएमसी नेता ओ ब्रायन ने संसद की बैठकों में कमी पर दिया जोर, एक निश्चित संसदीय कैलेंडर की उठाई मांग

नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस के संसाद डेरेक ओ ब्रयान ने शनिवार को संसद की बैठकों में कमी की बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहले लोकसभा में जहां 135 दिन संसद बैठती थी, अब यह घटकर केवल 55 दिन रह गई है। बता दें कि ओ ब्रायन ने शुक्रवार को राज्यसभा में एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया, जिसमें संसद में कम से कम 100 दिनों की बैठकें और एक निश्चित संसदीय कैलेंडर की मांग की गई है। उन्होंने इस विधेयक के माध्यम से संसद की कार्यवाही को नियमित करने का प्रस्ताव रखा।

लोकतंत्र की मजबूती के लिए अहम
टीएमसी के सांसद ओ ब्रायन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा कि संसद में बैठक में बढ़ोतरी लाने का यह कदम प्रतिनिधि लोकतंत्र की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने संविधान संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया, जिसमें अनुच्छेद 85 के तहत संसद में कम से कम 100 दिन की बैठकें करने की बात कही गई है।

राजद सांसद मनोज झा ने भी की मांग
साथ ही राजद के सांसद मनोज कुमार झा ने भी एक विधेयक पेश किया, जिसमें संसद की कम से कम 120 दिन बैठकों की मांग की गई है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पहली लोकसभा ने अपने पांच साल के कार्यकाल में 677 बैठकें कीं, जो हर साल औसतन 135.4 दिन है। दूसरी लोकसभा में 581 बैठकें हुईं, जो प्रति वर्ष लगभग 116.2 दिन है। 10वीं लोकसभा में बैठकों की संख्या घटकर 423 दिन रह गई, जो प्रति वर्ष लगभग 84.6 दिन है, और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के तहत, 13वीं लोकसभा में पांच साल में 356 बैठकें हुईं, जो प्रति वर्ष लगभग 71.2 दिन है।

साथ ही 14वीं लोकसभा में 332 दिन, 15वीं लोकसभा में 356 दिन और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में 16वीं लोकसभा में 331 दिन बैठकें हुईं। 17वीं लोकसभा में 274 दिन बैठकें हुईं। आंकड़ों के अनुसार, पिछली केवल चार लोकसभाओं में ही इससे कम बैठकें हुईं, जिनमें से सभी पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही भंग हो गईं। कोविड-19 महामारी के बीच 17वीं लोकसभा में सबसे कम बैठकें 2020 में 33 दिन हुईं थी।

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