चीनी मछली पकड़ने वाली नौकाओं ने उत्तर कोरियाई मजदूरों का किया इस्तेमाल, UN प्रतिबंधों का उल्लंघन
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हिंद महासागर में काम कर रही कुछ चीनी ट्यूना मछली पकड़ने वाली नौकाओं ने 2019 से 2024 के बीच उत्तर कोरियाई मजदूरों को काम पर रखा, जो संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के प्रतिबंधों का उल्लंघन है। लंदन में मौजूद एनवायरनमेंटल जस्टिस फाउंडेशन (ईजेएफ) की जांच में ये खुलासा हुआ है कि इन मजदूरों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। उन्हें सालों तक समुद्र में फंसे रहने पर मजबूर किया गया और वे अवैध मछली पकड़ने और डॉल्फिन को मारने जैसी गतिविधियों में शामिल थे।
रिपोर्ट के अनुसार, ईजेएफ ने 19 इंडोनेशियाई और फिलीपींस के मजदूरों से बात की, जिन्होंने उत्तर कोरियाई मजदूरों के साथ काम किया था। इन गवाहों और अन्य सूचनाओं से पता चला कि उत्तर कोरियाई नागरिक चीनी मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर काम कर रहे थे। संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश विभाग के अनुसार, चीन में लगभग 1 लाख उत्तर कोरियाई मजदूर काम करते हैं।
चीनी नौकाओं पर छिपाकर रखे गए उत्तर कोरियाई मजदूर
रिपोर्ट में बताया गया कि दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर में काम कर रही 12 से अधिक चीनी नौकाओं के कप्तानों ने उत्तर कोरियाई मजदूरों की उपस्थिति को छिपाने की कोशिश की। बंदरगाहों पर जाने से पहले उन्हें छुपा दिया जाता था या दूसरी चीनी नौकाओं में भेज दिया जाता था। रिपोर्ट में कहा गया कि कई उत्तर कोरियाई मजदूर वर्षों तक समुद्र में ही रहे, कुछ तो लगभग 10 साल तक बिना अपने देश लौटे या जमीन पर कदम रखे। एक नाविक के अनुसार, उत्तर कोरियाई मजदूरों को बंदरगाह पर उतरने नहीं दिया जाता था और न ही वे मोबाइल फोन इस्तेमाल कर सकते थे।
अवैध गतिविधियों में भी शामिल थीं ये नौकाएं
रिपोर्ट में बताया गया कि 5 चीनी नौकाओं को शार्क फिनिंग (शार्क के पंख काटने), मजदूरी में धोखाधड़ी, कागजात जब्त करने, शारीरिक और मानसिक शोषण जैसी गतिविधियों में लिप्त पाया गया। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, उत्तर कोरिया में सरकार के नियंत्रण में जबरन श्रम कराया जाता है, जिससे राज्य को मुफ्त श्रम मिलता है और जनता पर सख्त निगरानी भी रखी जाती है। ईजेएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कोरियाई मजदूरों को चीनी सीफूड प्रोसेसिंग प्लांट्स में भी काम करवाया गया, जहां से तैयार उत्पाद यूरोपियन यूनियन (ईयू) और अमेरिका को बेचे गए।