सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा फैक्ट्री विस्फोट मामले में NGT का आदेश किया रद्द, भागलपुर डीएम को मिली बड़ी राहत

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें भागलपुर के जिलाधिकारी (डीएम) को पटाखा फैक्ट्री विस्फोट में मारे गए लोगों के परिजनों को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय ओका और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि एनजीटी ने यह आदेश जारी करने से पहले न तो दोषियों को कोई नोटिस दिया और न ही मरने वालों और घायलों के परिवारों से कोई जवाब मांगा।
फिर से एनजीटी के पास भेजा गया मामला
अब यह मामला फिर से विचार करने के लिए 28 मार्च को एनजीटी के पास भेजा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी को निर्देश दिया है कि वह भागलपुर जिलाधिकारी को नोटिस जारी करे और मृतकों व घायलों के परिवारों का पता लगाए।
क्या था पूरा मामला?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने 27 मई 2022 को एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर इस विस्फोट का संज्ञान लिया था, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी। एनजीटी ने कहा था कि यह पटाखा फैक्ट्री पर्यावरण नियमों और खतरनाक रसायन नियम, 1989 और विस्फोटक नियमों का उल्लंघन करके चलाई जा रही थी।
एनजीटी ने डीएम को दिया था मुआवजा देने का आदेश
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था कि मृतकों के परिजनों को 20 लाख रुपये और घायलों को 15 लाख रुपये मुआवजे के रूप में दिए जाएं। यह राशि जिलाधिकारी को एक महीने के भीतर मृतकों व घायलों के परिवारों को देनी थी। हालांकि, राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने यह भी कहा था कि सरकार यह पैसा कानूनी प्रक्रिया के तहत दोषियों से वसूल सकती है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह मामला फिर से एनजीटी के पास जाएगा, जहां नए सिरे से विचार किया जाएगा।