अब केरल में राज्यपाल-सरकार के बीच तनातनी, जानिए क्या है पूरा मामला
केरल विधानसभा के बजट सत्र में शुक्रवार को विपक्षी कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ ”वापस जाओ” के नारे लगाए और सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करने के बाद धरना दिया।
इसको लेकर अब राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बयान दिया है। केरल के राज्यपाल ने शनिवार को राज्य में मंत्रियों के निजी कर्मचारियों की अत्यधिक संख्या पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा कि राज्य में मंत्रियों के पास 20 से अधिक निजी कर्मचारी हैं। मीडिया से बात करते हुए, खान ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में वह केवल 11 कर्मियों को नियुक्त कर सकते थे। “लेकिन यहां हर मंत्री के पास कार्मिक स्टाफ में 20 से अधिक सदस्य हैं।”
उन्होंने कहा कि यह घोर उल्लंघन है और लोगों के पैसे का दुरुपयोग है। राज्यपाल ने कहा कि केरल में एक योजना के अनुसार पेंशन लाभ प्राप्त करने के लिए निजी सरकारी कर्मचारियों को दो साल के बाद इस्तीफा देना पड़ता है ताकि वे पार्टी (सीपीआईएम) के लिए काम करना शुरू कर सकें। उन्होंने कहा, “सभी को भुगतान करने के लिए कहा जा रहा है। केरल सरकार ने निर्देश दिया है कि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को भी पेंशन फंड स्थापित करना होगा।”
राज्यपाल ने कहा कि वह इस योजना को रद्द करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “मैं योजना को रद्द करने पर जोर दे रहा था। यह मेरा अधिकार है। मैं यहां यह सुनिश्चित करने के लिए हूं कि सरकारी कामकाज संविधान के अनुसार संचालित हो। राज्य सरकार में किसी को भी राजभवन पर नियंत्रण करने का अधिकार नहीं है। अन्यथा, यह एक संवैधानिक संकट को जन्म देगा।”
उन्होंने आगे कहा कि देश में कहीं भी एक तय सीमा से परे नियुक्त कर्मचारी पेंशन लाभ के हकदार नहीं होते हैं। राज्यपाल ने कहा, “मैं यहां प्रशासन चलाने के लिए नहीं हूं। मैं यहां यह सुनिश्चित करने के लिए हूं कि सरकार का कामकाज संविधान के प्रावधानों और संवैधानिक नैतिकता के अनुसार हो।” आगे बोलते हुए, खान ने कहा, “मैं उस स्थिति को स्वीकार नहीं कर सकता जहां लोग परोक्ष रूप से अपनी पसंद मुझ पर थोपकर राजभवन को नियंत्रित करते हैं।”
इससे पहले सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के सचिव ने राज्यपाल के निजी स्टाफ की नियुक्ति को मंजूरी देते हुए एक असहमति पत्र लिखा था। सूत्र ने कहा कि असहमति नोट पर ध्यान देते हुए राज्यपाल ने जीएडी के सचिव के खिलाफ आपत्ति जताई, जिसके कारण उन्हें कथित तौर पर पद से हटा दिया गया। विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्षी नेताओं ने “गवर्नर गो बैक” के नारे लगाए। बाद में उन्होंने वाकआउट किया।
विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने कहा, “माननीय राज्यपाल ने केरल सरकार की अवैध गतिविधियों का समर्थन किया है, जिसमें कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की पुनर्नियुक्ति भी शामिल है। राज्यपाल भाजपा के राजनीतिक एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं क्योंकि उनके पास निजी कर्मचारी के रूप में एक राजनीतिक कार्यकर्ता है।
बता दें कि हाल ही में राज्यापल बनाम सरकार के बीच असहमतियों के कई मामले सामने आए हैं। चाहे वो बंगाल में सीएम ममता बनाम राज्यपाल धनखड़ हो या फिर तमिलनाडु में राज्यपाल द्वारा नीट परीक्षा को लेकर बिल की वापसी की मामला हो। कई मौकों पर राज्यपाल और सरकार सामने सामने दिखी है।