मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने शुरू की ये तैयारी , जाने क्या है प्लान
मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। सूबे में एक ओर जहां कांग्रेस अंदरूनी लड़ाई में उलझी है, वहीं भाजपा अपने वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी के लिए प्लान बना रही है।
2018 में मध्य प्रदेश में पार्टी को 41% वोट मिले थे, भाजपा ने अब इसे बढ़ाकर 2023 में 51% करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए पार्टी एससी / एसटी समुदायों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में जुटी है। मध्य प्रदेश में एससी/एसटी की आबादी 37 फीसदी है। साल 2018 में भाजपा ने सूबे की 82 एससी/एसटी आरक्षित विधानसभा सीटों में से 33 पर जीत हासिल की थी।
एमपी के बीजेपी इंचार्ज मुरलीधर राव ने अंग्रेजी समाचार पत्र इकॉनमिक टाइम्स को बताया, ‘हम एससी/एसटी के बीच अपने वोट शेयर को बेहतर करने पर खास ध्यान दे रहे हैं और इसके लिए हमने राज्य में कुछ नई पहलों पर काम करने योजना बनाई है।’ उन्होंने कहा किवैसे तो राज्य के लगभग हर हिस्से में आदिवासी रहते हैं लेकिन हम चंबल क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इस इलाके में एक बड़ी दलित आबादी रहती है।
पार्टी की योजना है कि संगठन में दलितों और आदिवासियों को टॉप नेतृत्व में जगह दी जाए। पार्टी नेताओं ने बताया कि दलित और आदिवासी समुदाय के नेताओं की संगठन के भीतर हमेशा मौजूदगी रही है, लेकिन अब उन्हें जिम्मेदारी के मामले में और अधिक प्रमुखता दी जाएगी। अपने इस मास्टर प्लान के पहले चरण में भाजपा दलित इलाकों में दलित नेताओं की प्रतिमाएं स्थापित करने की योजना बना रही है।
अम्बेडकर जैसे दलितों के नाम पर कुछ शिक्षण संस्थानों के नामकरण पर भी काम चल रहा है। भाजपा की इस योजना के संबंध में जानकारी रखने वाले एक नेता ने कहा, ‘हमारी कोशिश है कि उन्हें सरकार के साथ-साथ पार्टी में भी समावेशी महसूस कराया जाए।’ मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पर्यवेक्षण के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदाय के सभी परिवारों को केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
वहीं दूसरी ओर सूबे की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस में अंदरूनी कलह शांत होने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव और कमलनाथ के बीच तनाव की स्थिति जगजाहिर है।
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में अरुण यादव ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर कमलनाथ की शिकायत भी की थी। इसके बाद एक ही सप्ताह में कमलनाथ ने सोनिया गांधी से दो बार मुलाकात कर राज्य की कांग्रेस कमेटी को लेकर हालात बताए थे। कमलनाथ के साथ एक बार दिग्विजय ने भी सोनिया समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर चुनावी तैयारियों पर चर्चा की थी।