ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला, घर बैठकर…
सपा के सहयोगी सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने रविवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला। उनकी राजनीतिक सक्रियता पर सवाल खड़े करते हुए ओम प्रकाश ने अखिलेश को नसीहत दी।
उन्होंने कहा कि घर बैठे राजनीति नहीं की जा सकती है। उन्होंने अखिलेश को कार्यकर्ताओं के बीच जाने की नसीहत दी। राजभर ने तर्क दिया कि घर बैठकर मायावती ने राजनीति की तो आज विधानसभा में उनकी पार्टी से एक विधायक हैं। यही काम कांग्रेस ने किया था, उसका हश्र भी सामने है। उन्होंने कहा कि 2027 में प्रदेश में सरकार बनाने के लिए हमें 2024 में केंद्र में मजबूत नहीं मजबूर सरकार बनाने का काम करना है। कायदे से अखिलेश को चाहिए था कि में सहयोगी रहे सभी घटक दलों को बुलाकर सदन में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा करते।
सदन में नहीं दिया साथ
इससे पहले विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान ओम प्रकाश अच्छे श्रोता की तरह उन्हें सुनते रहे। सपा की विरोध की रणनीति के साथ नहीं गए। उन्होंने कहा कि गलत परंपराओं को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। राजभर ने कहा कि वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में हम मुफ्त शिक्षा, गरीबों को मुफ्त इलाज,बिजली आदि मुद्दों के साथ जनता के बीच गए थे। कुछ को समझा पाए, लेकिन बड़े पैमाने पर मतदाताओं को हम नहीं समझा सके। नतीजतन 87 सीटें महज 200 से 1000 मतों के अंतर से हार गए। । अखिलेश को इन हारी हुई सीटों पर जनता के बीच जाने की जरूरत है।
नए सियासी समीकरण के संकेत
विधानसभा चुनाव के नतीजे के तकरीबन 60 दिन बाद सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव पर हमला बोल सबको हैरत में डाल दिया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब वह अपने नए सियासी साथी अखिलेश यादव के खिलाफ बोले हैं। अब इसे सियासी हलकों में मिशन-2024 की पैंतरेबाजी के रूप में देखा जाने लगा है। निहितार्थ निकाले जा रहे हैं कि क्या लोकसभा चुनावों में ओम प्रकाश राजभर फिर पुराने सियासी गठबंधन की ओर लौटेंगे?
पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहते हुए राजभर के तीखे बयानों ने योगी सरकार को परेशान कर रखा था। बात बिगड़ती गई और वह सरकार से बाहर हो गए। विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने छोटे दलों की गोलबंदी से सपा और भाजपा दोनों को अपनी तरफ आकर्षित किया। गठबंधन की गांठ सपा से जुड़ गई। ओम प्रकाश लगातार दावा करते रहे थे कि सपा के गठबंधन से सरकार बनाएंगे। दावा फेल होने के बाद ओम प्रकाश ने पहली बार पैंतरा नहीं बदला है। वह नतीजे आने के बाद ही कहने लगे थे कि उन्हें तो पहले ही चरण के मतदान में हार दिखने लगी थी, लेकिन मतदान समाप्त होने तक वह बोल नहीं सकते थे।