उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के छात्र शैक्षिक स्तर में राष्ट्रीय औसत से आगे, रिपोर्ट में खुलासा

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के कक्षा आठ और दसवीं के छात्र शैक्षिक स्तर में राष्ट्रीय औसत से आगे बढ़ गए हैं। नेशनल अचीवमेंट सर्वे-2021 (एनएएस) की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में यह पहलू भी सामने आया है। बेसिक स्तर पर छात्रों का शैक्षिक काफी कमजोर मिला है।

कक्षा तीन और पांचवी के छात्र भाषा, गणित और ईवीएस में कमजोर पाए गए हैं। इन दोनों ही कक्षाओं के छात्रा राष्ट्रीय शैक्षिक औसत में तीन से छह प्रतिशत से पिछड़े हैं। सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं के शैक्षिक स्तर के आंकलन के लिए पिछले साल नवंबर 2021 में राष्ट्रीय स्तर पर सघन सर्वेक्षण किया गया था।

कक्षा तीन, पांच, आठ और दसवीं के छात्रों की कुछ विषय में परीक्षा ली गई थी। इसमें उत्तराखंड के 2562 स्कूलों के 65 हजार 870 छात्र शामिल हुए। सर्वे में 11 हजार 347 शिक्षकों को लिया गया था। एनएसस की रिपोर्ट में कमजोर स्थिति के लिए कोरोना को भी बड़ा कारण माना जा रहा है।

भाषा, गणित, ईवीएस में सुपर स्टूडेंट की संख्या बेहद कम: एनएएस में छात्रों की विषयवार शैक्षिक बुद्धिमत्ता का भी आंकलन किया गया है। अपनी कक्षा के अनुरूप विषय की पूर्ण समझ रखने वाले छात्रों की संख्या हर कक्षा में काफी कम है। कक्षा तीन में भाषा विषय में 38 प्रतिशत छात्र बुनियादी स्तर से भी नीचे पाए गए।

जबकि सर्वोच्च स्तर पर केवल 10 फीसदी छात्र मिले। गणित में यह प्रतिशत 31 और सात, ईवीएस में यह 28 और आठ है। इसी प्रकार कक्षा दस में गणित विषय में 32 फीसदी छात्र अपनी कक्षा के बुनियादी स्तर से भी नीचे थे। विज्ञान में यह प्रतिशत 72 और एक, सोशल सांइस में 62 और दो तक पाया गया है।

महानिदेशक-शिक्षा बंशीधर तिवारी ने कहा कि प्राथमिक स्तर पर कोरोना की वजह से छात्र शिक्षा से करीब करीब पूरी तरह अलग थलग हो गए थे। निदेशक-एआरटी सीमा जौनसारी ने कहा कि एनएएस की रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। इसके अनुसार आगे छात्रों के लिए उपचारात्मक माड्यूल तैयार किए जाएंगे।

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