कश्मीरी पंडितों का टूटता सब्र, बोले- भरोसा उठता नजर आ रहा
जम्मू और कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का मौजूदा व्यवस्था से भरोसा उठता नजर आ रहा है। खबर है कि कश्मीरी पंडित आरोप लगा रहे हैं कि जम्मू और कश्मीर में नौकरशाही जारी संकट को सुलझाने में सक्षम नहीं हैं। साथ ही उन्होंने सरकार पर भी सिविल सोसाइटी को खत्म करने के आरोप लगाए हैं। हाल ही में केंद्र शासित प्रदेश में टारगेट किलिंग की कई घटनाएं सामने आई हैं।
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के प्रमुख संजय टिकू ने कहा, ‘यहां एक चुप्पी है और रेजिज्टेंस फोर्स के अलावा किसी को नहीं पता कि अगला निशाना कौन होगा।’ उन्होंने कहा, ‘बीते तीन सालों में कश्मीर में सिविल सोसाइटी को निष्क्रिय कर दिया गया है। नहीं तो, वह भी मौके पर होते और आवाज उठाते। अब यह कौन करेगा? सभी को सरकार का डर है अगर वह बोलता है तो PSA उनका इंतजार कर रही है।’
कश्मीर पंडित संघर्ष समिति एक संगठन है, जो 1980 के समय में पलायन के बावजूद घाटी में रहा। KPSS ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय से प्रशासन को सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों को कश्मीर के बाहर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए आदेश देने की अपील की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंडितों को इस सप्ताह कोर्ट की तरफ से जवाब मिलने की उम्मीद है।खास बात है कि कश्मीरी पंडितों के एक वर्ग ने खीर भवानी मेला नाम से पहचाने जाने वाले वार्षिक ज्येष्ठ अष्टमी त्यौहार में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। यह उत्सव मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में टुलमुल्ला स्थित खीर भवानी मंदिर में 8 जून को मनाया जाता है।