एडमंड हिलेरी और तेंजिंग नोर्गे के चढ़ने की 70वीं सालगिरह पर माउंट एवरेस्ट में हुआ इतना बदलाव
माउंट एवरेस्ट पर एडमंड हिलेरी और तेंजिंग नोर्गे के चढ़ने की 70वीं सालगिरह पर दुनिया की इस सबसे ऊंची चोटी को प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से हो रहे नुकसान पर दुनिया का ध्यान गया है।एवरेस्ट पर जिस तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं, उन्हें भविष्य में सुधारना संभव नहीं रह जाएगा।
एवरेस्ट और हिंदुकुश हिमालय के अन्य पर्वत साढ़े तीन हजार किलोमीटर इलाके में फैले हुए हैं। ये पर्वत आठ देशों की सीमा से गुजरते हैं। इन सब पर ग्लोबल वॉर्मिंग का भारी असर देखने को मिला है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) के मुताबिक अगर कार्बन गैसों का उत्सर्जन अपने मौजूदा स्तर पर ही बना रहा, अगले 70 साल में इस क्षेत्र के दो तिहाई ग्लेशियर पिघल चुके होंगे।
विशेषज्ञों के मुताबिक गुजरे 60 वर्षों में एवरेस्ट के चारों तरफ मौजूद 79 ग्लेशियरों की मोटाई 100 मीटर घट चुकी है। साल 2009 के बाद उनका आकार घटने की रफ्तार दो गुनी हो गई है। इनमें मशहूर खुम्बु ग्लेशियर भी है, पर्वतारोही एवरेस्ट पर चढ़ने का अपना अभियान शुरू करते हैं। माउंट एवरेस्ट पर सबसे पहले पहुंचने वाले न्यूजीलैंड के हिलेरी और नेपाल के नोर्गे ने भी अपना अभियान यहीं से शुरू किया था।