वायु प्रदूषण का साइड इफेक्ट: दिल्ली वालों की जिंदगी से क्यों माइनस हो रहे 12 साल
हाल की में शिकागो यूनिवर्सिटी ने एयर क्वालिटी इंडेक्स जारी किया है. जिसमें वायु प्रदूषण के कारण सेहत को हो रहे नुकसान के बारे में बताया गया है. यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत की 68 फीसदी आबादी ऐसे इलाकों में रहती है जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 0 µg/m3 से भी ज्यादा है.
वायु प्रदूषण की वजह से लाइफ एक्सपेक्टेंसी कम हो रही है.ज्यादा समय तक प्रदूषण में रहने से जीवन के पांच साल कम होने का खतरा है. भारत में सबसे ज्यादा प्रदूषण राजधानी दिल्ली में है. यहां हर साल पॉल्यूशन का लेवल बढ़ता जा रहा है. दिल्ली में इतना प्रदूषण है कि यहां रहने वाले लोगों के जीवन की औसत उम्र 12 साल तक कम हो सकती है. बढ़ते प्रदूषण की वजह से कई तरह की बीमारियों का रिस्क बढ़ रहा है. सभी उम्र के लोगों पर बढ़ता प्रदूषण असर कर रहा है.
इस बीच यह सवाल भी है कि पॉल्यूशन की वजह से उम्र घट कैसै रही है. आइए इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानते हैं.
पॉल्यूशन से क्यों कम हो रही उम्र
दिल्ली के मूलचंद हॉस्पिटल में पल्मोनरी डिपार्टमेट में डॉ. भगवान मंत्री बताते हैं कि बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से फेफड़ों पर गंभीर असर पड़ रहा है. इससे लोगों को लंग्स कैंसर, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी खतरनाक बीमारियां हो रही हैं. बीते कुछ सालों से लंग्स कैंसर के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. इसका बड़ा कारण वायु प्रदूषण ही है. आलम यह है कि जो लोग स्मोकिंग नहीं करते हैं उनमें भी फेफड़ों के कैंसर के मामलों में इजाफा हो रहा है. इस तरह की खतरनाक बीमारियों की वजह से लोगों की सेहत बिगड़ती है. कम उम्र में ही वह गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं. जो बाद में मौत का कारण भी बनती है.
धीरे धीरे करता है असर
सफदरजंग हॉस्पिटल में कम्यूनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट में एचओडी डॉ. जुगल किशोर बताते हैं कि प्रदूषण धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है. यह लोगों के लंग्स में इंफेक्शन करता है और जिन लोगों को पहले से ही फेफड़ों की कोई बीमारी है तो उसको और खतरनाक बना देता है. प्रदूषण में मौजूद छोटे-छोटे कण सांस के जरिए फेफड़ों में जाते हैं. इससे सीओपीडी और अस्थमा जैसी बीमारियां होती हैं. इन डिजीज के बढ़ने की वजह से कुछ मरीजों को सांस लेने में परेशानी भी हो जाती है. अगर समय पर ट्रीटमेंट न मिले तो मौत होने तक का खतरा रहता है.