40 साल की उम्र के बाद बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा, ऐसे करें देखभाल…
40 साल की उम्र के मानव शरीर अपनी क्षमताओं के चरम पर होता है, उसके सभी अंग और प्रणालियां अधिकतम भार पर काम करती हैं और अपरिवर्तनीय उम्र बढ़ने की प्रक्रियाएं होने लगती हैं. इस उम्र में हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर सहित कई बीमारियों के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है.हाल ही में हुए एक रिसर्च के अनुसार, अपरिवर्तनीय उम्र बढ़ने की प्रक्रिया मुख्य रूप से हार्मोनल परिवर्तन, हार्मोन के निर्माण में कमी, सेक्स ग्रंथियों और थायरॉयड ग्रंथि के कार्य में कमी से जुड़ी होती है. इसमें कहा गया कि 40-45 वर्ष की आयु तक पुरुषों में 15% कम टेस्टोस्टेरोन होता है, जिससे चयापचय धीमा हो जाता है, मांसपेशियों का नुकसान होता है, वजन बढ़ता है और बाल झड़ने लगते हैं.
शरीर में होते हैं कई बड़े बदलाव
इसके साथ ही महिलाओं में सेक्स हार्मोन के उत्पादन में कमी के कारण प्रजनन प्रणाली का काम भी धीरे-धीरे धीमा हो जाता है. पुरुषों की तरह ही इनमें भी सभी प्रक्रियाएं धीमी हो जाती हैं, कोलेजन और प्लेट का उत्पादन कम हो जाता है, त्वचा की लोच खो जाती है और वजन बढ़ जाता है.
भारत में मृत्यु का सबसे आम कारण हृदय रोग
40 वर्षों के बाद इंसान पहले से ही कुछ आदतों का आदी रहता है, जिसमें हानिकारक आदतें भी शामिल हैं. कई पुरानी बीमारियों का बोझ उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को और बढ़ा देता है. आंकड़ों के अनुसार, भारत में मृत्यु का सबसे आम कारण हृदय रोग है. 2022 में भारत में अनुमानित 2.3 मिलियन लोगों की मृत्यु हृदय रोग के कारण हुई. हृदय रोग के अन्य सामान्य कारणों में स्ट्रोक, कैंसर और श्वसन संबंधी बीमारियां शामिल हैं.
भारत में मृत्यु के प्रमुख कारण:
हृदय रोग: 26.5%
स्ट्रोक: 11.1%
कैंसर: 10.5%
श्वसन संबंधी बीमारियां: 9.8%
अनियंत्रित रक्तचाप: 6.3%
मधुमेह: 5.1%
वाहन दुर्घटनाएं: 3.4%
आत्महत्या: 2.1%
गर्भावस्था और प्रसव संबंधी जटिलताएं: 1.7%
अतिरिक्त वजन, गतिहीन जीवन शैली, रक्त कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि, धूम्रपान, शराब का दुरुपयोग लगातार धमनी उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है. स्ट्रोक या सेरेब्रल इस्किमिया, कोरोनरी हृदय रोग, एनजाइना पेक्टोरिस का कारण बन सकता है. इसके अलावा 40 वर्ष की आयु के बाद लोगों को टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा अधिक होता है. इस उम्र में महिलाओं में स्तन और डिम्बग्रंथि कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है. धूम्रपान, और खराब वातावरण की वजह से फेफड़ों के कैंसर के विकास का खतरा बढ़ जाता है.