क्या INDIA सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर आज बनेगी बात? जानिए किधर टकराव किधर और कहां पिक्चर साफ
लोकसभा चुनाव में बीजेपी से दो-दो हाथ करने के लिए बने विपक्षी गठबंधन INDIA की कोआर्डिनेशन कमेटी की पहली बैठक बुधवार शाम को दिल्ली में होनी है. इस बैठक के एजेंडे में सीट शेयरिंग फॉर्मूले से लेकर साझा चुनावी अभियान चलाने को लेकर रणनीति पर मंथन होगा.
ऐसे में सीट बंटवारे को लेकर INDIA गठबंधन के घटक दलों के बीच कुछ राज्यों में तस्वीर पूरी तरह साफ है, तो कई राज्यों में फ्रेंडली मुकाबला भी हो सकता है. हालांकि, कई जगह पर गठबंधन में सीटों को लेकर पेच फंसे हुए हैं, जो सीट-बंटवारे के नजरिए से INDIA गठबंधन के लिए सबसे मुश्किल लग रहे हैं.
विपक्षी गठबंधन INDIA की कोआर्डिनेशन कमेटी में अलग-अलग विपक्षी दलों से 14 नेता शामिल हैं. बुधवार शाम एनसीपी प्रमुख शरद पवार के आवास पर INDIA गठबंधन कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक होगी. विपक्षी दलों के नेता सीट-बंटवारे का फॉर्मूला जल्द तैयार करने की मांग कर रहे हैं. पवार के घर पर होने वाली बैठक में तमाम मुद्दों पर मंथन किया जाएगा, जिसमें सीट शेयरिंग पर भी बात होगी. ऐसे में तीन हिस्सों में बांटकर बताते हैं कि किस राज्य में सीट शेयरिंग तय है और किन राज्यों में दिक्कतें आ रही हैं.
तीन राज्यों की 54 सीट पर सब कुछ तय
विपक्षी गठबंधन INDIA में तमिलनाडु, झारखंड और पुडुचेरी की 54 लोकसभा सीटों में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं दिख रही है. तमिलनाडु में 39 लोकसभा सीटें हैं. डीएमके, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों सहित कुछ छोटे क्षेत्रीय दल मिलकर चुनाव लड़ते रहे हैं. 2019 के लोकसभा और उसके बाद 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में ये सभी दल एक साथ थे. 2024 में भी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे, जहां पिछली बार का फॉर्मूला लागू हो सकता है. इसी तरह से पुडुचेरी में भी डीएमके और कांग्रेस का गठबंधन है. झारखंड में 14 लोकसभा सीटें हैं और वहां पर जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी मिलकर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं, क्योंकि तीनों ही दल एक साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं.
गठबंधन तय, लेकिन सीट शेयरिंग नहीं
विपक्षी गठबंधन INDIA कई राज्यों में है, लेकिन इस बीच सीट शेयरिंग तय नहीं है. इस फेहरिस्त में उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, मेघालय और मणिपुर में सीट बंटवारे को लेकर मुश्किल आ रही है. यूपी में 80 लोकसभा सीटें हैं और गठबंधन में सपा, कांग्रेस, आरएलडी, कृष्णा पटेल की अपना दल और दलित नेता चंद्रशेखर आजाद भी शामिल हैं. आरएलडी 12, तो कांग्रेस 25 सीटों की मांग कर रही है. सपा 20 सीटें सभी सहयोगी दलों को देना चाहती है. इतना ही नहीं सीटों को लेकर भी पेच फंसा हुआ है.
बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं, जहां आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां गठबंधन का हिस्सा हैं. लेफ्ट आठ सीटों की मांग कर रही है, तो कांग्रेस भी पिछली बार से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है. आरजेडी और जेडीयू भी एक दूसरे से कम सीट पर मान नहीं रहे हैं. इसी तरह गुजरात, दिल्ली, चंडीगढ़ में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी साथ हैं, लेकिन सीट शेयरिंग का मामला फंसा हुआ है. पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच अलग ही मामला है.
मेघालय में कांग्रेस-टीएमसी, तो मणिपुर में कांग्रेस-जेडीयू-लेफ्ट में सीट शेयरिंग का मामला फंसा है, क्योंकि ये दल INDIA गठबंधन का हिस्सा हैं. महाराष्ट्र में भी विपक्षी गठबंधन तय है, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद) शामिल है. राज्य में 48 सीटें हैं और तीनों ही दल एक दूसरे से कम सीटों पर चुनाव लड़ना नहीं चाहते हैं. जम्मू और कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन राज्य की 5 सीटों के लिए सीट-बंटवारे की रूपरेखा तैयार करनी होगी.
पंजाब-बंगाल-केरल में फ्रेंडली फाइट होगी?
INDIA गठबंधन में कई ऐसे राज्य हैं, जहां घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक रहे हैं. पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल में INDIA गठबंधन में फ्रेंडली फाइट देखने को मिल सकती है. पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक-दूसरे के साथ चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी लेफ्ट पार्टियों के लिए सीट छोड़ने के मूड में नहीं हैं, तो केरल में कांग्रेस और लेफ्ट के बीच सीधा मुकाबला है.
पश्चिम बंगाल में 42, पंजाब में 14 और केरल में 20 लोकसभा सीटें हैं. इस तरह तीन राज्यों में 76 लोकसभा सीटें हैं, जिन पर INDIA गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच ही मुकाबला हो सकता है. केरल और पंजाब में बीजेपी का कोई खास आधार नहीं है. बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच 2019 में मुख्य लड़ाई थी, लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी की ताकत बढ़ी है. टीएमसी और लेफ्ट के बीच सीधी प्रतिस्पर्धा है और कांग्रेस भी कुछ इलाकों में मजबूत है. इसी तरह से कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ और वाम नेतृत्व वाला एलडीएस, तो पंजाब में भी सहयोगी दल के बीच फाइट है. इसीलिए यहां पर मैत्रीपूर्ण लड़ाई का जोखिम उठा सकते हैं.