रूस की गलती नहीं दोहराएगा भारत, सालों तक जंग लड़ने का प्लान.. इंडियन आर्मी ने यूक्रेन युद्ध से लिया सबक

युद्ध की स्थिति में हथियार भंडार का लबालब भरा होना अत्यंत जरूरी है और ये सबक यूक्रेन युद्ध से सीखा जा सकता है। क्योंकि, पिछले डेढ़ सालों से यूक्रेन में युद्ध लड़ रहे रूस का हथियार भंडार खाली होने के कगार पर है और, हथियार भंडार बढ़ाने के लिए वो कभी ईरान, तो कभी उत्तर कोरिया से मनुहार कर रहा है।

दूसरी तरह, यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई करते-करते अमेरिका का हथियार भंडार भी अब काफी खाली हो गया है। लिहाजा, भारत के शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक, यूक्रेन और रूस के बीच पिछले डेढ़ सालों से चल रहे युद्ध ने भारतीय सेना को भी युद्ध से संबंधित कई मोर्चों पर नये सिरे से तैयारी करने के लिए प्रेरित किया है, जिसमें गोला बारूद का भंडार बढ़ाने, तोपखानों का विस्तार करने, रॉकेट और बंदूकों के मिश्रण की तरफ ध्यान केन्द्रित करना शामिल है।

रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष अधिकारियों ने सटीक-निशाना लगाकार मार करने वाले हथियार सिस्टम, एडवांस टेक्नोलॉजी को हासिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इसके साथ ही, युद्ध के मैदान में पारदर्शिता बरतने के महत्व को रेखांकित किया है।

यूक्रेन युद्ध से भारत ने क्या सीखा?

अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा है, कि युद्ध ने “सैन्य संरक्षण” यानि, युद्ध के दौरान दुश्मन की जवाबी बमबारी से जवानों की रक्षा के लिए पर्याप्त उपायों की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है, इसलिए अधिक मात्रा में ऑटोमेटिक बंदूकों, घुड़सवार बंदूकों और स्कूट क्षमता वाली सहायक बिजली इकाइयों के साथ सिस्टम या खींची गई बंदूकों की की आवश्यकता पर बल दिया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष अधिकारी ने कहा, कि ये प्रमुख सबक हैं, जो युद्ध से भारतीय तोपखाने के लिए उभरे हैं, और अब इन्हें इसके सिद्धांतों और क्षमता विकास योजनाओं में शामिल किया जा रहा है।

एक अधिकारी ने कहा, कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने युद्ध जीतने वाले फैक्टर्स के रूप में गोलाबारी के महत्व की फिर से पुष्टि की है, यह देखते हुए, कि युद्ध में 80 प्रतिशत मौतें तोपखाने की आग के कारण हुईं।

उन्होंने कहा, कि अनुमान है, कि रूस के सैनिक एक दिन में 20,000 तोपखाने गोले दाग रहे हैं और यूक्रेनी पक्ष हर दिन 4,000 से 5,000 गोले दाग रहा है।

अधिकारी ने कहा, कि “यह देखा गया है, कि युद्ध में इस्तेमाल की गई भारी गोलाबारी के परिणामस्वरूप बहुत विनाश हुआ है। इसने हमारी सूची में बंदूकों और रॉकेटों के विवेकपूर्ण मिश्रण की आवश्यकता को रेखांकित किया है।”

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अधिकारियों ने यह भी कहा, कि यूक्रेन युद्ध ने सेना की लिस्ट में काफी ज्यादा सटीक तरीके से गाइडेड हथियारों की जरूरत पर जोर दिया है। इसके अलावा, निशाने को सटीकता से भेदने वाली मिसाइलों का भंडार बढ़ाने, ड्रोन और पारंपरिक हवाई वाहनों, लोइटर हथियारों और लंबी दूरी के तोपखाने टर्मिनल का भंडार बढ़ाने की तरफ भी ध्यान दिया है।

इसके अलावा, यूक्रेन युद्ध ने इस जरूरत की तरफ भी ध्यान दिलाया है, कि रियल टाइम टारगेट की पहचान करना अत्यंत जरूरी हो जाती है। अधिकारियों के मुताबिक, “युद्ध से पता चला है, कि लक्ष्य की पहचान करने और उस पर हमला करने के बीच का समय पहले के पांच से 10 मिनट से घटकर अब एक या दो मिनट रह गया है। लिहाजा, लक्ष्य को रास्ता बदलने से पहले जितनी जल्दी हो सके उस पर हमला करने की जरूरत है और इसलिए अधिक प्रभावी मारक श्रृंखला की जरूरत है।”

उन्होंने कहा, कि युद्धक्षेत्र की पारदर्शिता एक लीडर को अपने अभियानों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने में सक्षम बनाती है, इसके अलावा, फौरन फैसला लेने में आगे रहने में भी मदद करती है।

अधिकारियों ने कहा, कि युद्ध ने विशिष्ट प्रौद्योगिकी उपकरणों जैसे कि युद्ध सामग्री, झुंड ड्रोन, काउंटर-ड्रोन सिस्टम और अन्य संचार प्रणालियों को शामिल करने के महत्व को सामने ला दिया है।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला, कि भविष्य के युद्धों में सटीक विश्लेषण और लक्ष्य निर्धारण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकें शामिल होंगी।

स्वदेशी हथियार भंडार बढ़ाने की जरूरत

अधिकारियों ने कहा, कि यूक्रेन युद्ध को देखने से सबसे ज्यादा इस बात की सीख मिलती है, कि युद्ध लंबे समय तक चल सकता है, लिहाजा लंबे वक्त तक युद्ध करने के लिए संसाधनों का होना काफी ज्यादा जरूरी है।

जिसके लिए स्वदेशी हथियार इंडस्ट्री की आवश्यकता है, जो जरूरत पड़ने पर हथियारों और आयुध का उत्पादन भी बढ़ा सकता है।

अधिकारियों ने कहा, कि रूस-यूक्रेन युद्ध से सबक लेते हुए सेना ने एक संशोधित आर्टिलरी प्रोफ़ाइल तैयार की है। उन्होंने कहा, कि पश्चिमी मोर्चे पर ज्यादा माउंटेड गन सिस्टम और सेल्फ-प्रोपेल्ड गन सिस्टम की आवश्यकता है, शूट-एंड-स्कूट क्षमता वाली टो गन सिस्टम भारत की पहाड़ी उत्तरी सीमाओं पर तैनाती के लिए अधिक उपयुक्त होगी।

एक अधिकारी ने कहा, कि रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी की क्षमता विकास योजनाएं निर्धारित समय-सीमा के अनुसार अच्छी तरह से प्रगति कर रही हैं और आगे बढ़ते हुए, 155 मिमी बंदूकें दुनिया भर के रुझानों के अनुरूप सभी तोपों की मानक क्षमता वाली होंगी।

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