महालक्ष्मी व्रत के दौरान जरुर करें ये काम, घर में होगी धनवर्षा
सनातन धर्म में महालक्ष्मी व्रत की खास अहमियत है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, महालक्ष्मी व्रत को रखने से मां लक्ष्मी की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। प्रत्येक वर्ष भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से महालक्ष्मी व्रत आरंभ होते हैं।
इन 16 दिनों में देवी लक्ष्मी की पूजा को खास लाभदायी माना गया है। इस वर्ष महालक्ष्मी व्रत 22 सितंबर से आरम्भ हो रहे हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, अतः साधक श्रद्धा भाव से धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करते हैं। इसके चलते महिलाऐं देवी लक्ष्मी की पूजा, व्रत, मंत्र जाप कर उपासना करती हैं. ये व्रत धन, सुख, समृद्धि प्रदान करते हैं. महालक्ष्मी व्रत कोई भी कर सकता है, किन्तु यदि आप व्रत नहीं कर पा रहे तो इन शुभ दिनों में प्रतिदिन महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ अवश्य करें. ये 16 दिन व्रत रखने के समान पुण्य देता है.
महालक्ष्मी स्तोत्र:-
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।
त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।
महालक्ष्मी स्तोत्र पाठ के लाभ:-
धार्मिक मान्यता है कि जहां रोजाना महालक्ष्मी स्त्रोत का पाठ होता है वहां कभी निराशा, दरिद्रता नहीं आती. इसके जाप से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद धन एवं समृद्धि के रूप में प्राप्त होता है. शास्त्रों में महालक्ष्मी स्त्रोत की असीम महिमा बताई गई है. जो मनुष्य दिन में एक बार भी महालक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति प्राप्त होती है. वहीं दो बार पाठ करने पर आर्थिक तंगी दूर होती है, राजयोग प्राप्त होता है.