देश में चाइनीज सामान से फिर उठा भरोसा आखिर चीनी विमानों को ‘कबाड़ के दाम’ बेचेगा नेपाल
नेपाल एयरलाइंस ने 2014 से 2018 तक चीन से छह विमान खरीदे थे। अब अचानक नेपाल एयरलाइंस चीनी विमानों को ‘कबाड़ के दाम’ पर बेचने में जुट गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपाल ने चार साल में 6.66 अरब नेपाली रुपये (50 मिलियन अमेरिकी डॉलर) में चीन से चार विमान खरीदे थे।
भारतीय रुपए के हिसाब से बात करें तो नेपाल को चार विमानों की खरीद पर 4 अरब 17 करोड़ भारतीय रुपए खर्च करने पड़े।
नेपाली न्यूज पोर्टल काठमांडू पोस्ट के हवाले से शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक, चीन से खरीदे गए विमान अपनी कीमत से ज्यादा परेशानी पैदा कर रहे हैं। आपको बता दें कि नेपाल ने 2014 से 2018 के बीच चीन से कुल छह विमान खरीदे थे. तब से अब तक एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है. शेष पांच विमानों को रोक दिया गया है, जिनमें दो 56-सीटर MA60 और तीन 17-सीटर Y12e शामिल हैं।
चीनी विमानों से क्यों छुटकारा पा रहा है नेपाल?
चीन में बने विमान आए दिन खराब होते रहते हैं। उच्च रखरखाव लागत के कारण, कर्ज में डूबी नेपाल एयरलाइंस के लिए इन्हें संचालित करना बेहद महंगा हो गया। इसके अलावा, पायलटों की लगातार कमी और दुर्घटनाओं के बाद अविश्वसनीयता के कारण, अधिकारियों ने जल्द से जल्द चीनी विमानों से छुटकारा पाना बेहतर समझा। बताया जा रहा है कि चीन से खरीदे गए विमान पिछले तीन साल से खड़े हैं.
चीनी विमान स्क्रैप कीमतों पर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं
नेपाल एयरलाइंस ने अब इस विमान को केवल 220 मिलियन नेपाली रुपये (1.65 मिलियन अमेरिकी डॉलर) में बिक्री के लिए रखा है। भारतीय रुपये में करीब 12 करोड़ रुपये. काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट में पर्यटन मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि नेपाल एयरलाइंस बोर्ड इतने कम दाम पर महंगे विमान बेचने के विचार से खुश नहीं है। अधिकारी ने कहा कि हर कोई दुविधा में है, जिसमें नेपाल एयरलाइंस बोर्ड भी शामिल है, जो विमानों को कौड़ियों के भाव बेचने पर असहमत है।
वहीं नेपाल एयरलाइंस का कहना है कि इन विमानों को उड़ाना संभव नहीं है और इन्हें बेचना ही एकमात्र विकल्प है. काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, नेपाल एयरलाइंस बोर्ड की मंजूरी के बाद ही विमान बेचे जा सकेंगे. पर्यटन मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि चीन से खरीदे गए विमानों को बेचने की मंजूरी के लिए एक महीने पहले बोर्ड को रिपोर्ट भेजी गई थी, जिसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है.