मासूमों की हत्या और खून से रंगी हुई पंढेर कोठी का ये था काला सच !
देश के चर्चित निठारी केस में दोषी करार आरोपियों को बरी कर दिया गया है. आरोपी सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा होनी थी,लेकिन इलाहाबाद कोर्ट ने तमाम आरोपों से आरोपियों को बरी कर दिया है. अब हाईकोर्ट के इस फैसले को सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी.
2005 से 2006 के बीच में हुआ ये निठारी कांड ऐसा था,जिसने लोगों को आत्मा को झंकझोंर कर रख दिया. मासूमों की हत्या और खून से रंगी हुई एक ऐसी कोठी जिसके नाम को सुनकर ही लोग सिहर उठा करते थे. आखिर ऐसा क्या हुआ था, पंढेर कोठी में जिसके बारे में लोगों सुनकर ही हैरान रह गए थे.
आरोपी सुरेंद्र कोली नोएडा की पंढेर कोठी का केयरटेकर था.कहा जाता है कि वो इस कोठी में मासूम लड़कियों को लालच देकर बुलाया करता था. इसी तरीके से निठारी गांव में एक-एक करके 19 लड़कियां गायब हो गई.इसी कोठी में लड़कियों के साथ पहले दुष्कर्म किया जाता था और फिर उनकी हत्या कर दी जाती थी. हत्या के बाद शव के टुकड़ें कर दिए जाते थे.
क्या थी पंढेर कोठी की कहानी….
बता दें कि नोएडा सेक्टर-31 के पास गांव निठारी की डी-5 नंबर की कोठी मोनिंदर सिंह पंढेर ने 2005 में खरीदी थी. और नोएडा के निठारी रहने का ठिकाना बनाया. परिवार के साथ नहीं होने की वजह से मनिंदर सिंह ने चंडीगढ़ में नौकरी कर चुके सुरेंद्र कोली को नोएडा बुला लिया.सुरेंद्र खाना बनाने में एक्सपर्ट था.वो कोठी की छत पर बने एक कमरे में रहने लगा. मनिंदर कहीं न कहीं बाहर टूर पर ही निकल जाता था. लिहाजा, कोठी में मालिक की तरह सुरेंद्र ही रहता था.
मामले का खुलासा कुछ इस तरह से हुआ कि घरों में साफ-सफाई का काम करने वाली महिला 31 अक्टूबर 2006 को अपने घर से चलते समय पति को बताकर गई थी कि आज उसे सुरेंद्र कोली ने बुलाया है. इसलिए वह पंढेर की कोठी संख्या डी-5 पर काम की बात करने जाएगी.
फिर उसका भी कुछ पता नहीं चला, फिर पुलिस ने कोठी के नाले के पीछे से 16 मानव खोपड़ियां बरामद की. उनमें से एक खोपड़ी उस महिला की भी थी. फोरेंसिक एक्सपर्टस ने एक खोपड़ी को लापता महिला की खोपड़ी करार दिया था.इस तरह से निठारी के नर पिशाच का काला सच सबके सामने आ गया था.