स्थाई नौकरी का सवाल है, चपरासी पद के लिए इंजीनियरों ने दिया साइकिल टेस्ट
केरल के एर्नाकुलम में शुक्रवार की सुबह जब बहुत से काफी संख्या में युवाओं को चपरासी की नौकरी के लिए एक लाइन में खड़े देखा गया तो तमाम लोग दंग रह गये. चौंकाने वाली बात ये थी कि इनमें से बहुत सारे युवाओं में कोई बी.टेक था तो कोई ग्रेजुएट था. ये सभी चपरासी पद पर नौकरी पाने के लिए साइकिल टेस्ट देने पहुंचे थे.
केरल के सरकारी कार्यालय में चपरासी पद पर नौकरी के लिए योग्यता 7वीं पास मांगी गई थी. साथ ही, जारी किये गये विज्ञापन में यह भी बताया गया था कि उम्मीदवार को साइकिल चलाना आता हो. इतनी कम योग्यता की अर्हता होने के बावजूद इस नौकरी के लिए तमाम काफी पढ़े लिखे लोग लाइन में देखे गए.
क्या कहना था उम्मीदवारों का?
साइकिल टेस्ट देने आए उम्मीदवारों का कहना था कि चपरासी की सरकारी नौकरी भी उसे मंजूर है क्योंकि ये नौकरी स्थायी होती है, सैलरी भी दूसरी प्राइवेट नौकरियों से बेहतर है. केरल में चपरासी को वेतन के तौर पर 23 हजार रुपये मिलते हैं. जबकि प्राइवेट नौकरी में इससे कम पैसे मिलते हैं. सरकारी में भत्ते वगैरह मिलते हैं जबकि प्राइवेट में नहीं.
कितने उम्मीदवार हुए पास?
शुक्रवार को हुए साइकिल टेस्ट में 101 उम्मीदवार पास हुए. इनका कहना था कि चपरासी की नौकरी में कोई बुराई नहीं है. टेक कंपनियों और ऑन लाइन फूड डिलीवरी सर्विसेस से ये कहीं नौकरी बेहतर है. पास हुए उम्मीदवारों में कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने बैंकिंग का डिप्लोमा कर रखा है. इनका कहना है आज के दौर में स्थाई नौकरी भला कौन नहीं चाहता.
केरल में कितने हैं बेरोजगार?
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के मुताबिक साल 2022 में कुल 5.1 लाख लोगों ने रोजगार के लिए आवेदन किया है, जिनमें 3.2 लाख महिलाएं हैं जो कि देश में सबसे ज्यादा है. हालत ये है कि केरल में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ती जा रही है. साल 2022 में एक आंकड़े में यहां 40 लाख बेरोजगारों की संख्या बताई गई थी.
चपरासी के लिए साइकिल टेस्ट क्यों?
चपरासी पद के लिए साइकिल टेस्ट की परंपरा पुरानी है लेकिन केरल में यह जारी है. राज्य लोक सेवा आयोग केरल राज्य वित्तीय उद्यम जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों में चपरासी पदों के लिए इस टेस्ट को जरूरी मानता है. हालांकि आज के दौर में परिवहन के तरीके बदल गए हैं लेकिन सरकार ने इस नियम को नहीं बदला है.