जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियां क्या हैं? जिसके लिए हो रहा सीओपी28, जानें क्या होगा भारत का रुख
संयुक्त अरब अमीरात की अध्यक्षता में गुरुवार (30 नवंबर) से विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन यानी सीओपी 28 की शुरुआत हो गई है। जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन से होने वाली समस्याओं से परेशान है, ऐसे समय में सीओपी का आयोजन अहम है। 13 दिन चलने वाले इस सम्मेलन में दुनियाभर के नेता हिस्सा ले रहे हैं। भारत की तरफ से शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं। ऐसे में हमें जानना चाहिए कि आखिर क्या है विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन का कार्यक्रम? इस कार्यक्रम का आयोजन क्यों हो रहा है? सम्मेलन में भारत का क्या प्रतिनिधित्व कौन कर रहा है? पीएम मोदी का एलान कर सकते हैं?
विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन का कार्यक्रम क्या है?
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) राजधानी दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी28) की पार्टियों के 28वें सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। 2023 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन या यूएनएफसीसीसी की पार्टियों के सम्मेलन को COP28 के रूप में जाना जा रहा है। यह सम्मेलन 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक एक्सपो सिटी, दुबई में आयोजित किया जा रहा है। बता दें कि यह सम्मेलन 1992 में पहले संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते के बाद से हर साल आयोजित किया जाता है। इसका उपयोग सरकारों द्वारा वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने और जलवायु परिवर्तन से जुड़े प्रभावों के अनुकूल नीतियों पर सहमत होने के लिए किया जाता है। मौजूदा COP28 शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन को 1.5 सेल्सियस वार्मिंग तक सीमित करने के पेरिस समझौते के लक्ष्य की दिशा में देशों की प्रगति का पहला औपचारिक मूल्यांकन होगा।
इस कार्यक्रम का आयोजन क्यों हो रहा है?
यूएई की सरकार ने अपने स्वागत संदेश में कहा है कि वह पिछली सफलताओं को आगे बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए भविष्य की महत्वाकांक्षा का मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से सीओपी28 की मेजबानी कर रहा है। आधिकारिक बयान में कहा गया कि 2015 में COP21 में, दुनिया 2050 तक ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने पर सहमत हुई। लक्ष्य पर बने रहने के लिए 2030 तक उत्सर्जन आधा होना चाहिए। हालांकि, लक्ष्य को पूरा करने के लिए केवल सात साल ही बचे हैं। सरकार ने कहा है कि COP28 यूएई जलवायु एजेंडे पर पुनर्विचार करने, फिर से शुरू करने और फिर से ध्यान केंद्रित करने का एक अहम अवसर है।