इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री कुरैशी को 11 जनवरी तक राहत, सिफर मामले में ट्रायल पर अदालत की रोक
पाकिस्तान के गोपनीय दस्तावेज लीक मामले (Cipher Case) में देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को अदालत से राहत मिली है। कोर्ट ने मुकदमे के ट्रायल पर 11 जनवरी तक रोक लगा दी है। दोनों सरकार से जुड़ी गुप्त बातें लीक करने और नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में जेल में बंद हैं। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब ने रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद कमरे में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी। 71 वर्षीय इमरान खान की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश पारित किया।
11 जनवरी तक कार्रवाई पर रोक
गुरुवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा कि जब निर्देश खुली अदालत में सुनवाई का है तो बंद कमरे में सुनवाई क्यों हो रही है? अदालत ने संघीय जांच एजेंसी को नोटिस जारी कर सुनवाई पर 11 जनवरी तक रोक लगा दी। गौरतलब है कि गोपनीय दस्तावेज मामले की सुनवाई विशेष अदालत में हो रही है। अदालत ने इस महीने की शुरुआत में सुनवाई के बाद आरोपियों को 13 दिसंबर को दोषी ठहराया। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने पिछली कार्यवाही को रद्द करते हुए 23 अक्तूबर के आदेश में कहा था कि जेल में मुकदमे के ट्रायल के दौरान उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी।
राजनयिक दस्तावेज़ के कथित दुरुपयोग का मामला
इससे पहले मीडिया की उपस्थिति में खुली अदालत में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के आदेश में उजागर विसंगतियों को ठीक करने के बाद नया मुकदमा चलाया गया। हालांकि, बाद में अदालत ने मामले की संवेदनशीलता के मद्देनजर बंद कमरे में कार्यवाही की सरकार की अपील स्वीकार कर ली। पिछले साल मार्च में पाकिस्तान दूतावास की तरफ से भेजे गए राजनयिक दस्तावेज़ के कथित दुरुपयोग मामले में पूर्व पीएम इमरान और उनके करीबी पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के खिलाफ मुकदमा जारी है।
पाकिस्तानी कानून का उल्लंघन, सुप्रीम कोर्ट से जमानत; अभी भी सलाखों के पीछे
बता दें कि पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी ने इसी साल 15 अगस्त को मामला दर्ज किया था। जांच एजेंसी के मुताबिक आरोपियों ने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए सिफर यानी गुप्त राजनयिक केबल का फायदा उठाने की कोशिश की। इससे देश के गुप्त कानूनों का उल्लंघन हुआ है। सिफर मामले में इमरान खान और कुरैशी दोनों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी। दोनों के खिलाफ दर्जनों कानूनी मामले दर्ज हैं। ऐसे में इमरान और कुरैशी अभी भी सलाखों के पीछे ही हैं।
अदालतों में 150 से अधिक मामले
पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के बीच जानना जरूरी है कि अप्रैल 2022 में पाकिस्तान की संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। सत्ता से बेदखल होने के बाद इमरान और उनके समर्थकों के खिलाफ 150 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।