रूस से कच्चा तेल खरीदकर भारत ने वैश्विक दाम वृद्धि पर लगाई लगाम, 40 डॉलर तक बढ़ सकती थीं कीमतें
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदकर कीमतों पर लगाम लगाई है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार, अगर भारत बड़े पैमाने पर रूस से कच्चे तेल की खरीद नहीं करता तो वैश्विक स्तर पर इसकी कीमतें 30 से 40 डॉलर तक बढ़ सकतीं थीं। साथ ही क्रूड बाजार में अराजकता भी फैल सकती थी।
एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार, भारत ने रूस और यूक्रेन संघर्ष के दौरान पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाए गए प्रतिबंध के दौरान बड़े पैमाने पर कच्चा तेल खरीदा था। रिपोर्ट में अनुमानित करीब 20 लाख बैरल प्रति दिन की खरीदी के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार, फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद भारत के रूसी तेल के आयात में भारी बढ़त ने वैश्विक तेल बाजार में तबाही को रोक दिया। एजेंसी
सस्ती खरीद से भारत में नहीं बढ़े तेलों के दाम
भारत के भारी आयात से न केवल भारतीय ग्राहकों को कम खुदरा ईंधन कीमतों से लाभ हुआ, बल्कि वैश्विक आपूर्ति स्थिति को आसान बनाने में भी भूमिका निभाई। एक अधिकारी ने कहा, भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने वित्तीय क्षेत्र के भीतर सभी निर्धारित मूल्य सीमाओं और नियमों का पालन किया। रूस इस समय भारत के कच्चे तेलों के कुल आयात में 35 फीसदी का योगदान कर रहा है। 60 फीसदी आयात खाड़ी देशों से हो रहा है।