‘जो काम दिखता है, वो ज्यादा बिकता है’, सोशल मीडिया पर एक्टिव न रहने पर बोले फवाद खान
पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान फिल्मों के अलावा अपने बयानों को लेकर भी सुर्खियों में रहते हैं। ‘खूबसूरत’, ‘ऐ दिल है मुश्किल’ और ‘कपूर एंड संस’ जैसी सुपरहिट फिल्मों से फवाद ने दर्शकों का दिल जीता है। अभिनेता के पाकिस्तान में ही नहीं भारत में भी लाखों फैंस हैं। फवाद अपने बेबाक अंदाज के लिए भी जाने जाते है। अक्सर वे हर मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते नजर आते हैं। हाल ही में, फवाद ने एक इंटरव्यू में बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपने काम करने का अनुभव साझा किया।
बॉलीवुड में मिला बहुत प्यार
फवाद से जब बॉलीवुड में उनकी सफलता और क्या उनके स्टारडम ने इंडस्ट्री के बीच तनाव पैदा किया पर सवाल किया तो इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण सवाल है। उन्होंने कहा, ‘मुझे भारत से बहुत प्यार मिला, लेकिन देखिए, हर इंडस्ट्री की अपनी राजनीति होती है। पाकिस्तान में भी है, लेकिन अपनी इंडस्ट्री में लड़ना आसान है। हालांकि, मैं यह नहीं कह रहा कि यह अनसुना है, मुझे यकीन है कि यह हर जगह ऐसा होता है।’
सोशल मीडिया से कम होती है स्टार की लोकप्रियता
फवाद से पूछा गया कि आप सोशल मीडिया पर एक्टिव क्यों नहीं रहते हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘जो दिखता है वो बिकता है, मुझे लगता है, जो काम दिखता है, वो ज्यादा बिकता है। उनका मानना है कि सोशल मीडिया पर लगातार मौजूदगी एक फिल्म स्टार की शक्ति को कमजोर कर देती है।’ उन्होंने एक किस्सा साझा करते हुए कहा, मेरे पीआर टीम सोशल मीडिया पर मेरी लोकप्रियता बढ़ाना चाहते थे, लेकिन मैं उनसे मना करता था और वे इस पर गुस्सा हो जाते थे। मैं उनसे कहता था कि मेरा मेरा नाम हटा दें। मेरा मैनेजर कहता था, ‘तुम नहीं जानते कि दुनिया कैसे काम करती है।’
पहली फिल्म में काम करने का साझा किया अनुभव
फवाद ने अपनी डेब्यू फिल्म ‘खूबसूरत’ के काम करने का अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, ‘मुझे इस फिल्म में काम करने में बहुत अच्छा लगा। हालांकि, मैंने बिना कुछ ज्यादा सोचे काम किया। सोनम कपूर बेहतरीन अदाकारा हैं। उनके साथ काम करके मैंने बहुत कुछ सीखा है। फिल्म के सभी कलाकारों के साथ मेरी बॉन्डिंग बहुत अच्छी रही हैं। उन्होंने ही मेरी इस यात्रा को यादगार बनाया है। उन्होंने अपनी फिल्म ‘कपूर एंड संस’ के बारे में कहा कि इस फिल्म की कहानी बहुत पसंद आई, किसी के जीवन काल में ऐसी फिल्म बनाना एक उपलब्धि है।