सुनक कैबिनेट की बर्खास्त मंत्री ने रवांडा बिल पर सरकार को घेरा, कहा- इस बिल को वापस लेना होगा बेहतर
ब्रिटेन की बर्खास्त मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के रवांडा विधेयक पर निशाना साधा है। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का रवांडा सुरक्षा विधेयक अगले सप्ताह संसद में पेश किया जाना है। सुनक की पूर्व कैबिनेट सहयोगी ने कहा है कि इस विधेयक से कोई फायदा नहीं होगा। हाउस ऑफ कॉमन्स में कड़े बयानों के बाद, भारतीय मूल की पूर्व मंत्री ने शुक्रवार को जीबी न्यूज के चैनल के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि वह विधेयक के वर्तमान स्वरूप का समर्थन नहीं करेंगी।
पिछले महीने कॉमन्स में पहली बाधा को पार करने के बाद अब अपनी संसदीय प्रक्रिया से गुजर रहे विवादास्पद विधेयक में ब्रिटेन में शरण चाहने वालों को पूर्वी अफ्रीकी देश में निर्वासित करने के रास्ते में आने वाली कानूनी बाधाओं को दूर करने की कोशिश की गई है।
ब्रेवरमैन ने एक साक्षात्कार में, “मैं केवल उस विधेयक का समर्थन करने जा रही हूं जो काम का हो। वर्तमान में जो मसौदा तैयार किया गया है, वह किसी काम का नहीं है। अगर इसमें कोई सुधार नहीं होता है, तो मुझे इसके खिलाफ मतदान करना होगा, इसका मुझे डर है। मुझे ऐसे मुद्दों पर वोट देने के लिए संसद भेजा जाता है, मुझे इसके पक्ष या विपक्ष में होना होगा, मैं इसे केवल बैठ कर देख नहीं सकती।” ब्रिटिश सांसदों को अगले सप्ताह मंगलवार और बुधवार को विधेयक में संशोधनों पर बहस और मतदान करना है, यह किसी भी नए कानून को आगे की जांच के लिए हाउस ऑफ लॉर्ड्स में भेजे जाने से पहले कॉमन्स में पारित होने का अंतिम चरण है।
इस विधेयक का पारित ना होना सुनक के लिए एक बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है। सुनक को हार का सामना करना पड़ सकता है अगर उनकी अपनी कंजर्वेटिव पार्टी के 32 सांसद इसके खिलाफ वोट कर दें तो। अगर ऐसा होता है तो 1977 के बाद से ऐसा पहली बार होगा। 1977 से अब तक हाउस ऑफ कॉमन्स में तीसरी रीडिंग में कोई भी सरकारी बिल नहीं अटका है।
बावरमैन ने कहा, ‘मैं उन मंत्रियों की बड़ी संख्या से बहुत चिंतित हूं, जिनसे मैंने बात की है, जिन्हें इस विधेयक के बारे में गंभीर आपत्ति है। संख्या के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने जवाब दिया, “ओह, दर्जनों लोग इस बिल से सहमत नहीं है।” पूर्व गृह सचिव ने कहा कि सुनक के लिए ‘सेफ्टी ऑफ रवांडा बिल’ को रोकना और ‘नौकाओं को नहीं रोकने वाला’ कानून बनाने की बजाय फिर से शुरुआत करना ‘कहीं बेहतर’ होगा।