‘छोटी से छोटी मौसमी घटनाओं की भविष्यवाणी करना भारत का मकसद’, आईएमडी की 150वीं वर्षगांठ पर बोले रिजिजू
भारत का मकसद सभी छोटे पैमाने की मौसम घटनाओं का पता लगाना और भविष्यवाणी करना है। इसके लिए वह मौसम की जांच-पड़ताल करने वाले नेटवर्क का विस्तार कर रहा है और पहले से ज्यादा शक्तिशाली कंप्यूटिंग प्रणाली की खरीद कर रहा है। यह बात केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को मौसम विभाग (आईएमडी) की 150वीं वर्षगांठ के मौके पर कही।
पूर्वानुमान की सटीकता में चालीस फीसदी सुधार
उन्होंने कहा कि मौसम और जलवायु परिवर्तन का असर अब पहले से कहीं ज्यादा स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में बीते पांच वर्षों के दौरान पूर्वानुमान की सटीकता में चालीस फीसदी सुधार हुआ है। हालांकि, बादल फटने जैसी मौसम की घटनाओं की भविष्यवाणी करना अब भी चुनौती बना हुआ है। जिससे निपटने के लिए उन्होंने डॉप्लर रडार और स्वचालित मौसम स्टेशनों के नेटवर्क के विस्तार पर जोर दिया।
तकनीक से बढ़ेगी भविष्यवाणी करने की क्षमता
रिजिजू ने कहा, शक्तिशाली कंप्यूटिंग प्रणाली की खरीद से मौसम विभाग को हाई-रेजॉल्यूशन वाले मॉडल को चलाने में मदद मिलेगी। जिससे उसकी भविष्य में छोटे पैमाने की सभी घटनाओं का पता लगाने और भविष्यवाणी करने की क्षमता बढ़ेगी। उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास जितनी ज्यादा जांच-पड़ताल करने की क्षमता होगी, हमारी उतनी ही बेहतर पूर्वानुमान क्षमता होगी।
पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में ग्यारह रडार लगाने की योजना
केंद्रीय मंत्री ने आगे बताया कि आईएमडी ने पहले ही पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र दस डॉप्लर रडार लगाए हैं। इसके अलावा, पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में ग्यारह रडार लगाने की योजना है। उन्होंने कहा कि तकनीकी के क्षेत्र में भारत ने तेजी से प्रगति की है। जिससे मौसम के पूर्वानुमान की सटीकता और जीवन को बचाने वाली पूर्व चेतावनी प्रणाली में बहुत सुधार हुआ है। इसने चक्रवातों, लू और भारी बारिश की घटनाओं से नुकसान को कम किया है।
किसान-मछुआरा समुदाय की आर्थिक स्थिति में सुधार
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर समाज के हर हिस्से पर पड़ रहा है और अल्प विकसित व विकासशील देश सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। हमें जलवायु परिवर्तन के अनुरूप खुद में सुधार करना होगा। उन्होंने कहा कि आईएमडी की चेतावनियों और सलाहों से किसानों व मछुआरा समुदाय को उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार करने में मदद मिली है। इसके लिए उन्होंने नेशनल काउंसिल फॉर एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च के एक सर्वेक्षण का हवाला दिया।