धर्म परिवर्तन मामले के आरोपी VC-अन्य को गिरफ्तारी से राहत बरकरार, जानें सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
उत्तर प्रदेश स्थित सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल समेत संस्थान के कुछ अन्य अधिकारियों को गैर कानूनी धर्म परिवर्तन, दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है। गौरतलब है कि चार नवंबर 2023 को पूर्व संविदा महिला कर्मचारी ने इनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
यूपी सरकार से मांगा एक सप्ताह के भीतर में जवाब
दो जजों की खंडपीठ ने कुलपति द्वारा दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। पीठ ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की गई है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम आदेश जारी रहेगा। बता दें राजेंद्र बिहारी लाल और अन्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया था।
क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश
11 दिसंबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था। इस दौरान अदालत ने कहा था कि उन पर एक जघन्य अपराध का आरोप है। हम आदेश देते हैं कि 20 दिसंबर 2023 को या उससे पहले अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करना चाहिए और नियमित जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए। आदेश पारित करते वक्त हाईकोर्ट ने कहा था कि कोई भी भगवान या धर्म इस प्रकार के कदाचार को मंजूरी नहीं देगा। हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर किसी ने खुद ही धर्म परिवर्तन का फैसला लिया है वह एक अलग विषय है। लेकिन इस मामले में एक महिला को भौतिक लालच देकर जबरन धर्म परिवर्तन का प्रयास किया गया। गौरतलब है कि महिला ने उन पर विश्वविद्यालय में नौकरी की पेशकश के बाद दुष्कर्म और धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया था। गौरतलब है कि राजेंद्र बिहारी लाल और अन्य आरोपियों ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी कि जो मामला दर्ज किया गया है, वह दुर्भावना से प्रेरित थी क्योंकि महिला को बर्खास्त कर दिया गया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हमीरपुर के पुलिस अधीक्षक को सर्कल अधिकारी रैंक के तीन अधिकारियों द्वारा मामले में की जा रही जांच की निगरानी करने के निर्देश दिए थे। पुलिस अधीक्षक को 90 दिनों के भीतर मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने और मजिस्ट्रेट के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।