MQ9-B ड्रोन की खरीद से भारत को कैसे होगा फायदा, अमेरिका ने दी जानकारी
अमेरिका ने बीते हफ्ते अपने आधुनिक MQ-9B ड्रोन्स भारत को बेचने की मंजूरी दी। इस समझौते पर मुहर लगने के बाद से ही माना जा रहा है कि चीन और पाकिस्तान से सटे सीमाई क्षेत्र और समुद्री इलाकों में भारत की ताकत तेजी से बढ़ेगी। इस बीच अमेरिका ने भी इन ड्रोन्स की ताकत को लेकर जानकारी दी है।
अमेरिकी विदेश विभाग के उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, “हमें लगता है कि इन ड्रोन्स की बिक्री भारत को समुद्री सुरक्षा और समुद्री क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने की क्षमता प्रदान करेगी।” उन्होंने कहा कि इस समझौते से भारत को इन एयरक्राफ्ट का सीधा हक मिल जाएगा और हम इसके लिए अपने भारतीय साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ाना जारी रखेंगे।
गौरतलब है कि अमेरिका ने 3.99 डॉलर (लगभग 33 हजार करोड़ रुपये) की अनुमानित लागत पर भारत को हथियारों से लैस 31 MQ-9B प्रीडेटर लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दी। इन ड्रोन से समुद्री मार्गों की निगरानी एवं टोही गश्ती क्षमता और भविष्य के खतरों से निपटने में भारत की क्षमता में इजाफा होगा। इस ड्रोन सौदे का एलान जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी।
बेहद खास हैं प्रीडेटर ड्रोन
एमक्यू-9बी रीपर या प्रीडेटर ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये ड्रोन 40 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर करीब 40 घंटे तक उड़ान भर सकता है। यह ड्रोन सर्विलांस और हमले के लिहाज से बेहतरीन है और हवा से जमीन पर सटीक हमले करने में सक्षम हैं।
यह खास क्यों है?
यह हर प्रकार के मौसम में 40 घंटे से अधिक समय तक उपग्रह के माध्यम से उड़ान भर सकता है। अपनी क्षमताओं की वजह से प्रीडेटर ड्रोन को मानवीय सहायता/आपदा राहत, खोज और बचाव, कानून प्रवर्तन, विरोधी सतह युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, एयरबोर्न माइन काउंटरमेसर, लंबी दूरी की रणनीतिक आईएसआर, ओवर-द-एयर लक्ष्यीकरण, पनडुब्बी रोधी युद्ध में इस्तेमाल किया जा सकता है।