‘हमास की मांगें मानी ही नहीं जा सकतीं’, सीजफायर की बातचीत से पीछे हटा इस्राइल
इस्राइल और हमास के बीच चल रही शांतिवार्ता अटक सकती है। दरअसल इस्राइल का कहना है कि हमास की मांगें ऐसी हैं, जिन्हें माना नहीं जा सकता। ऐसे में इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संकेत दिए हैं कि वे बातचीत से पीछे हट रहे हैं। नेतन्याहू ने ये भी कहा कि इस्राइल फलस्तीन के साथ दो देश के समझौते पर किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव में नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि इस्राइल ऐसी कोई भी बातचीत सीधे फलस्तीन से करेगा और वो भी बिना तय शर्तों के।
‘हमें बातचीत से कुछ हासिल नहीं हो रहा’
इस्राइल और हमास के बीच मिस्त्र की राजधानी काहिरा में शांति वार्ता हो रही है। अमेरिका के कहने पर इस्राइल ने अपने वार्ताकार भी काहिरा भेजे थे, लेकिन बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने वार्ताकार आगे की बातचीत के लिए काहिरा भेजने से इनकार कर दिया है। मीडिया द्वारा इसे लेकर पूछे गए सवाल पर नेतन्याहू ने कहा कि ‘हमें इस बातचीत से हमास की भ्रामक मांगों के अलावा कुछ हासिल नहीं हो रहा है।
‘ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हमास द्वारा जो मांगें रखी जा रही हैं, उनमें गाजा में युद्ध तुरंत समाप्त करने और हमास को छोड़ने की मांग की जा रही है। साथ ही हजारों हमास समर्थकों को इस्राइल की जेलों से रिहा करने के साथ ही यरूशलम में यहूदियों के धार्मिक स्थल टेंपल माउंट को लेकर भी मांग की गई है।
100 से ज्यादा बंधक अभी भी हमास के कब्जे में
नेतन्याहू ने कहा कि ‘काहिरा में इस्राइली प्रतिनिधि सिर्फ बैठकर बातें सुन रहे थे और हमास नेताओं में कोई बदलाव नहीं हुआ है। ऐसे में जब तक हमें कोई बदलाव नहीं दिख जाता है, तब तक हम बातचीत के लिए वापस अपने प्रतिनिधियों को नहीं भेजेंगे।’ इस्राइल के अभी भी 100 से ज्यादा बंधक हमास के कब्जे में हैं।
वहीं इस्राइल, हमास के खात्मे पर अड़ा है। इस्राइल ने अब राफा शहर में अपना अभियान शुरू कर दिया है। फलस्तीन को अलग देश के रूप में मान्यता देने की मांग पर इस्राइली पीएम ने कहा कि एकतरफा तरीके से फलस्तीन को अलग देश की मान्यता देने से बड़ा ईनाम, आतंकवाद के लिए कुछ हो नहीं सकता।