गजवा-ए-हिंद को वैध करार देने पर दारुल उलूम पर जांच करने के आदेश, जिलाधिकारी ने कही यह बात
गजवा-ए-हिंद (भारत पर आक्रमण) पर हदीस के हवाले से दिए गए जवाब पर इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम 10 वर्ष बाद सवालों के घेरे में आ गया है। वेबसाइट के माध्यम से दिए गए फतवे को आधार बनाकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इसे राष्ट्र विरोधी बताते हुए डीएम सहारनपुर और एसएसपी को जांच करने के निर्देश दिए हैं।
गुरुवार को देवबंद एसडीएम अंकुर वर्मा और सीओ अशोक सिसोदिया ने दारुल उलूम प्रबंधन से इस संबंध में पूछताछ की है। जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद उच्चाधिकारियों की ओर से मामले में कार्रवाई की जा सकती है।
दरअसल, वर्ष 2015 में दारुल उलूम से किसी व्यक्ति ने गजवा-ए-हिंद को लेकर जानकारी मांगी थी, जिस पर दारुल उलूम ने अपने जवाब में पुस्तक सुन्नत-अल-नसाई का हवाला दिया था। कहा था कि गजवा-ए-हिंद को लेकर इसमें पूरा एक अध्याय है। बाल संरक्षण आयोग ने कहा कि यह देश विरोधी है, क्योंकि इसमें गजवा-ए-हिंद को इस्लाम के नजरिए से जायज बताया गया है।
मामले में आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सहारनपुर डीएम और एसएसपी को पत्र लिखकर कार्रवाई करने को कहा, जिस पर गुरुवार को एसडीएम अंकुर वर्मा और सीओ अशोक सिसोदिया उच्चाधिकारियों के निर्देश पर दारुल उलूम पहुंचे। यहां उन्होंने संस्था के मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नौमानी और नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी से मुलाकात की। संस्था के दोनों जिम्मेदारों ने अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रखा।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में पूछे गए सवाल पर हदीस में जो लिखा है वहीं नकल कर बताया गया। इसमें आज के लिए नया कुछ भी नहीं है। मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नौमानी ने बताया कि उन्हें लिखित में कुछ नहीं मिला है।