काशी को केंद्र में रखते हुए बनेगा रीजनल डेवलपमेंट प्लान, सीएम योगी ने महायोजना 2031 पर की बैठक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष शनिवार को उनके सरकारी आवास पर आहूत एक उच्चस्तरीय बैठक में जनपद रामनगर (वाराणसी), मुरादाबाद, हापुड़, रायबरेली, बरेली और लखनऊ की महायोजना 2031 का प्रस्तुतिकरण किया गया। बैठक में मुख्यमंत्री ने कई प्रमुख दिशा-निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि महायोजना लागू करने में अब देर न हो, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, वरिष्ठ अधिकारियों से संवाद कर यथाशीघ्र लागू करें। बहुत से गांव अब नगरीय महायोजना का हिस्सा बने हैं, यह ध्यान रखें कि इन गांवों को ग्रीन लैंड के रूप में घोषित न किया जाए। आबादी की भूमि ग्रीन लैंड नहीं होगी।
स्टेट कैपिटल रीजन की तर्ज पर वाराणसी को केंद्र में रखते हुए सीमावर्ती जनपदों को जोड़कर एक रीजनल डेवलपमेंट प्लान तैयार किया जाना आवश्यक है। इस संबंध में विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर यथाशीघ्र प्रस्तुत करें। मुरादाबाद (गजरौला) के नए मास्टर प्लान में औद्योगिक और व्यावसायिक क्षेत्रों को और विस्तार दें। यहां बहुत संभावनाएं हैं। इसका समुचित उपयोग किया जाना चाहिए। इससे आर्थिकी में सुधार होगा और रोजगार भी सृजित होगा। गजरौला में नवीन बस टर्मिनल और बाईपास मार्गों की आवश्यकता है। इसे महायोजना में शामिल करें। शुद्ध पेयजल के लिए पाइपलाइन और सीईटीपी की स्थापना भी की जाए।
लखनऊ विकास प्राधिकरण की सीमा को पूरे लखनऊ जनपद तक विस्तार दिया जाए। इसके अतिरिक्त, स्टेट कैपिटल रीजन डवलपमेंट अथॉरिटी का गठन हो रहा है। इन प्रयासों से राज्य राजधानी क्षेत्र में सुनियोजित और सुस्थिर विकास की गति मिलेगी। लैंड यूज के बारे में जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए। हर कोई आसानी से किसी भूमि की स्थिति जान सके। हर खसरे के बारे में अपडेट जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होनी चाहिए।
सभी जनपदों की वर्तमान स्थिति तथा भविष्य की आवश्यकताओं का व्यापक अध्ययन होना चाहिए। वहां के पोटेंशियल को देखें। हर जनपद में कुछ न कुछ खास है, उसे प्रोत्साहित करें। महायोजना में इसका ध्यान रखा जाए। स्थानीय शिल्पकला और परंपरागत उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए क्लस्टर विकसित किया जाए। आईटीआई की स्थापना के लिए इण्डस्ट्रियल एरिया में स्थान दें। इससे युवाओं को व्यावहारिक ज्ञान पाने में अधिक सहजता होगी।
उन्होंने कहा कि विकास प्राधिकरणों को नई संभावनाएं तलाशनी होंगी। नगर निगम के बाहर विस्तार लेना होगा। अपना दायरा बढ़ायें। आय के नए स्रोत सृजित करें। धार्मिक और आध्यत्मिक स्थलों के विकास को महायोजना का हिस्सा बनाएं। इंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वाले श्रमिकों को समीप में ही अवासीय सुविधा भी उपलब्ध कराने के प्रयास होने चाहिए।