पुडुचेरी में नाले से मिला था नौ साल की मासूम का शव, मामले ने पकड़ा तूल तो जांच के लिए एसआईटी गठित
नई दिल्ली: पुडुचेरी के मुथियालपेट प्रखंड में एक नाले से नौ साल की बच्ची का शव मिलने के मामले में जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। यह फैसला विभिन्न संगठनों और राजनीतिक दलों के व्यापक विरोध प्रदर्शन को देखते हुए लिया गया है।
मामले में 52 साल के जी विवेकानंदन और 19 वर्षीय एम कक्का उर्फ करुणास को गिरफ्तार किया गया है। एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि धारा 302 (हत्या के लिए सजा) सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा, पुलिस ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के साथ आईपीसी की धारा 34 के तहत भी मामले दर्ज किए हैं।
यह लोग टीम में शामिल
एसआईटी का नेतृत्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आर कलाईवनन करेंगे। वहीं, जांच अधिकारी के रूप में पुलिस अधीक्षक (पूर्व) लक्ष्मी सुजान्या को नियुक्त किया गया है। पुलिस निरीक्षक गणेश और पुलिस उपनिरीक्षक शिवप्रकाशम एसआईटी की मदद करेंगे। एसआईटी की यह टीम पुलिस उप महानिरीक्षक बृजेंद्र कुमार यादव की निगरानी में काम करेगी।
नाले में बोरी में मिला था शव
पांचवी कक्षा में पढ़ने वाली नाबालिग लड़की दो मार्च से लापता थी। उसका शव मंगलवार को मुथियालपेट ब्लॉक में उसके घर के पास एक नाले में बोरी में मिला था। उसके हाथ-पैर रस्सी से बंधे थे। उसके माता-पिता ने पुलिस में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी।
कड़ी कार्रवाई की मांग
स्वयंसेवकों व विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों और राजनेताओं ने बुधवार को प्रदर्शन किया और अपराध में शामिल दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। महात्मा गांधी की प्रतिमा के पीछे समुद्र के किनारे बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी एकत्रित हुए। घटना की निंदा की और नारे लगाए। साथ ही बच्ची के हत्यारों को कड़ी सजा देने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि नशीले पदार्थों के कारण केंद्र शासित प्रदेश में जघन्य अपराध हो रहा है। पर्यटन को बढ़ावा देने की आड़ में विभिन्न स्थानों पर ‘रेस्टो बार’ के काम करने का भी कड़ा विरोध हुआ। उन्होंने मांग की कि नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
नागपुर की जेल से रिहा हुए डीयू के पूर्व प्रोफेसर
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा आखिरकार गुरुवार को जेल से बाहर आ गए। दो दिन पहले ही बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने साईबाबा समेत पांच अन्य को माओवादी लिंक के एक कथित मामले में बरी कर दिया था। साथ ही उनकी उम्रकैद की सजा को रद्द करने का फैसला सुनाया था।