एनटीके पार्टी की याचिका पर सख्त हुई शीर्ष अदालत, निर्वाचन आयोग से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ‘नाम तमिलर काची’ (NTK) की एक याचिका पर शुक्रवार को निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा। बता दें, याचिका में गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर ‘मुक्त’ चुनाव चिह्न के आवंटन को चुनौती दी गई है।
हाईकोर्ट से मिल चुका है झटका
इस मामले में हाईकोर्ट पहले ही निर्वाचन आयोग के मानदंड को उचित ठहरा चुका है। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राजनीतिक दल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को भी नोटिस
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई कर रही थी। अदालत ने निर्वाचन आयोग से जवाब मांगने के साथ ही एक अन्य गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को भी नोटिस जारी किया, जिसे वह चुनाव चिह्न दिया गया था, जो पहले ‘नाम तमिलर काची’ (एनटीके) के पास था।
यह है मामला
हाईकोर्ट ने गत एक मार्च को एनटीके की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को निर्वाचन आयोग द्वारा ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर ‘मुक्त’ चुनाव चिह्न का आवंटन किए जाने को चुनौती दी गई थी।
दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता ‘नाम तमिलर काची’ की इस दलील को खारिज कर दिया था कि इस आशय से संबंधित चुनाव चिह्न आदेश मनमाना और असंवैधानिक था।याचिकाकर्ता आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तमिलनाडु और पुडुचेरी में एक अन्य राजनीतिक दल को ‘मुक्त’ चुनाव चिह्न ‘गन्ना किसान’ के आवंटन से व्यथित था।
होली की छुट्टियों के बाद होगी सुनवाई
याचिका पर नोटिस जारी करते हुए सीजेआई ने कहा कि अपील पर होली की छुट्टियों के बाद सुनवाई की जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह चुनाव चिह्न आदेश के पैराग्राफ 10बी (बी) की योजना की पड़ताल करेगी जो ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर दलों और उम्मीदवारों को ‘मुक्त’ चिह्न देने से संबंधित है।