अश्लील वीडियो मामले में पूर्व PM देवेगौड़ा के पोते की बढ़ी मुश्किलें, पार्टी में उठे विरोध के स्वर
कर्नाटक के राजनीति गलियारे में भूचाल आ गया है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते और जेडीएस नेता प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े कई अश्लील वीडियो सामने आए हैं। इसी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। प्रज्वल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पार्टी ने ही उनसे दूरी बनाने का मन बना लिया है। जेडीएस के विधायक समृद्धि मंजूनाथ ने रेवन्ना और उनके पिता एचडी रेवन्ना को पार्टी से निष्कासित करने की मांग की है।
मीडिया में घूम रहे अश्लील वीडियो
मंजूनाथ ने कहा, ‘प्रज्वल के अश्लील वीडियो मीडिया में घूम रहे हैं। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है। अध्यक्ष एचडी देवेगौड़ा और एचडी कुमारस्वामी को निर्णय लेना चाहिए। उन्हें तय करना चाहिए कि 19 विधायक महत्वपूर्ण हैं या प्रज्वल और उनके पिता एचडी रेवन्ना महत्वपूर्ण हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि पार्टी के सिद्धांतों को बचाने और हमें शर्मिंदगी से बचाने के लिए रेवन्ना और प्रज्वल को 24 घंटे के भीतर पार्टी से निष्कासित किया जाना चाहिए।
पीड़ित सामने आएं और शिकायत दें
कर्नाटक राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष नागलक्ष्मी चौधरी ने रेवन्ना की अश्लील वीडियो पर कहा, ‘एसआईटी ने जांच शुरू कर दी है। वीके सिंह टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। टीम में सभी अच्छे अधिकारी हैं। मुझे पीड़ितों की सुरक्षा की चिंता है, ताकि वे बिना डरे सामने आएं और अपनी शिकायत दें। मैंने सीएम को इस बारे में लिखा था। अब एसआईटी का गठन किया गया है। पेन ड्राइव मुझे मिली है उसमें सैकड़ों वीडियो हैं। मैं इस मामले को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग को भी लिखूंगी। मेरा मतलब है कि यह भारत का सबसे बड़ा घोटाला है।’
कौन हैं प्रज्वल रेवन्ना?
प्रज्वल रेवन्ना वर्तमान में कर्नाटक की हासन से सांसद है। इस सीट पर उन्होंने 2019 में पहली बार जीत हासिल की थी। इससे पहले साल 2004 से 2019 तक एचडी देवेगौड़ा ने इस सीट से लगातार हासिल की थी। फिलहाल रेवन्ना हासन लोकसभा क्षेत्र से एनडीए के उम्मीदवार हैं।
क्या है विवाद?
दरअसल, ये वीडियो 26 अप्रैल को हासन में हुए चुनाव से दो दिन पहले सामने आया था। 25 अप्रैल को महिला आयोग की अध्यक्ष ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से आपत्तिजनक वीडियो की एसआईटी जांच का आदेश देने का अनुरोध किया था। इसके बाद सरकार ने एसआईटी जांच का आदेश दिया।