22 दिन, 10 राज्य और 60 से ज्यादा चुनावी कार्यक्रम, प्रचार को सबसे ज्यादा डिमांड में रहे सीएम धामी
देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में देश के 10 से अधिक राज्यों में धुआंधार प्रचार किया। 22 दिन के इस प्रचार के दौरान धामी ने 60 से ज्यादा चुनावी कार्यक्रम किए। इनमें चुनावी जनसभाएं, रोड शो और जन संवाद के जरिये उन्होंने भाजपा के समर्थन में वोट मांगने का कार्य किया।
पार्टी सूत्रों का मानना है कि धामी भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में योगी के साथ धामी की भी सबसे ज्यादा मांग रही है। मुख्यमंत्री ने 14 अप्रैल से अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत पीलीभीत लोकसभा सीट से की और इसके बाद प्रचार का सिलसिला लगातार जारी रहा। अप्रैल में उन्होंने यूपी के पीलीभीत, गाजियाबाद, लखनऊ, बरेली, तेलंगाना के निजामाबाद, वारंगल में और पश्चिमी बंगाल की हुगली में कुल 10 चुनावी कार्यक्रम किए।
मई महीने में उन्होंने यूपी, झारखंड, दिल्ली, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और हिमाचल राज्य की विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार किया और उनके पक्ष में वोट डालने की अपील की। सीएम ने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत की और पड़ोसी राज्य हिमाचल की शिमला संसदीय सीट पर जनसंपर्क के जरिये अपने चुनाव प्रचार का समापन किया।
इसलिए रही मुख्यमंत्री की डिमांड
लोकसभा और विधानसभा चुनाव के प्रचार में उत्तराखंड सरीखे छोटे राज्य के मुख्यमंत्रियों को अभी तक पड़ोसी राज्यों में ही स्टार प्रचारक बनाने की परंपरा रही है। पुष्कर सिंह धामी संभवत: अकेले मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें यूपी, हिमाचल और दिल्ली के अलावा पश्चिमी बंगाल, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा राज्य में भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार के लिए भेजा गया। इसकी एक प्रमुख वजह धामी सरकार में लिए गए वे फैसले हैं, जिनकी पूरे देश में चर्चा है।
इसमें सबसे प्रमुख समान नागरिक संहिता कानून है, जिसे बनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। भाजपा ने घोषणा पत्र में यूसीसी को देश में लागू करने का वादा किया है। धामी ने सभी राज्यों में यूसीसी कानून के बहाने भाजपा के पक्ष में प्रचार किया। साथ ही उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार के फायदे भी गिनाएं। देश में उत्तराखंड के सबसे सख्त नकल विरोधी कानून और जबरन धर्मांतरण रोकने के कानून की भी चर्चा रही है। धामी ने दोनों कानूनों के जरिये लोगों को भाजपा से जोड़ने की कोशिश की।