जुलाई-सितंबर तक मानसून के कारण मिल सकती है राहत, ला नीना के विकसित होने की संभावना
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने भविष्यवाणी की है कि अल नीनो साल के अंत तक ला नीना में परिवर्तित हो सकती है। अल नीनो के कारण दुनिया भर में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और बढ़ता तापमान दर्ज किया गया है। दुनिया भर में अप्रैल सबसे गर्म और लगातार ग्यारहवां उच्च तापमान महीना महसूस किया गया है। संगठन के अनुसार, पिछले 13 महीनों से समुद्र की सतह का तापमान रिकॉर्ड उच्च स्तर पर रहा है।
अप्रैल-मई में दक्षिण एशिया में गर्मी
मौसम संगठन का कहना है कि प्राकृतिक रूप से होने वाले अल नीनो से मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में पानी असामान्य रूप से गर्म हो रहा है। भारत और पाकिस्तान सहित दक्षिण एशिया के लाखों लोगों ने अप्रैल और मई में भीषण गर्मी की तपिश झेली। जुलाई से सितंबर के दौरान ला नीना की स्थिति की संभावना 60 प्रतिशत और अगस्त से नवंबर के दौरान 70 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। इस दौरान अल नीनो के फिर से विसकित होने की संभावना न के बराबर है। अल नीनो के कारण भारत में कमजोर मानसूनी हवाएं रहती हैं। ला नीना अल नीनो के उलट है। ला नीना मानसून के दौरान भरपूर बारिश की ओर ले जाता है।
पिछले माह, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने भारत में मानसून के मौसम में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान लगाया है। अगस्त-सितंबर तक अनुकूल ला नीना की स्थिति बनने की उम्मीद जताई थी। भारत के खेती-किसानी के लिए मानसून महत्वपूर्ण है। मानसून बिजली उत्पादन के साथ-साथ पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाश्यों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
क्या होता है ला नीना और अल नीनो
मौसम विभाग के दीर्घकालिक पूर्वानुमान में इस साल देश के 80 प्रतिशत हिस्सों में जून से लेकर 30 सितंबर तक सामान्य से अधिक यानी कि 106 प्रतिशत वर्षा होने का अनुमान लगाया गया है। सामान्यतः इस 80 प्रतिशत हिस्से में भी कहीं कम तो कहीं अधिक वर्षा हो सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार प्रशांत महासागर में दक्षिण अमेरिका के निकट यदि विषुवत रेखा के इर्द-गिर्द समुद्र की सतह अचानक गरम होनी शुरू हो जाए तो ‘‘अल नीनो’’ बनता है।
यदि तापमान में यह बढ़ोतरी 0.5 डिग्री से 2.5 डिग्री के बीच हो तो यह मानसून को प्रभावित कर सकती है। इसका असर यह होता कि विषुवत रेखा के इर्द-गिर्द चलने वाली ट्रेड विंड कमजोर पड़ने लगती हैं। यही हवाएं मानसूनी हवाएं हैं जो भारत में बारिश करती हैं। ऐसी स्थिति में अल नीनो के ठीक विपरीत घटना होती है जिसे ‘‘ला नीना’’ कहा जाता है। ’’ला नीना’’ बनने से हवा के दबाव में तेजी आती है और ट्रेड विंड को रफ्तार मिलती है, जो भारतीय मानसून पर व्यापक प्रभाव डालती है।