कैसे कांग्रेस के लिए लकी अध्यक्ष साबित हुए खरगे,अपनी इस रणनीति से बदली पार्टी की किस्मत!
लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस पार्टी ने जबरदस्त वापसी की है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन के दौर से उभरते हुए पार्टी ने अपना अच्छा प्रदर्शन किया है। पार्टी के इस प्रदर्शन के पीछे कई अहम कारण बताए जा रहे हैं। इनमें अध्यक्ष पद में बदलाव और मल्लिकार्जुन खड़गे की समझौतावादी नीतियां प्रमुख है।
आमतौर पर कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद गांधी परिवार के सदस्यों के पास ही रहता हैं। सोनिया गांधी वर्षों तक पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष रही है। इसके बाद राहुल गांधी ने इस पद को संभाला। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी की कमान सोनिया गांधी के पास थी। जबकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। इन दोनों चुनावों में कांग्रेस तिहाई का आंकड़ा नहीं छू पाई थी। 2014 के चुनावों में कांग्रेस को जहां 44 सीटें मिली थी, जबकि साल 2019 में पार्टी को महज 52 सीटें मिली थी।
लगातार दो लोकसभा और कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिलती करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर और बाहर विरोध के स्वर भी बुलंद हो रहे है। इसक बीच भाजपा और अन्य विरोधी दल भी कांग्रेस पर एक ही खानदान का वर्चस्व होने और परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते रहे। इसी बीच कांग्रेस ने अध्यक्ष पद किसी और नेता को देने की रणनीति अपनाई। 2022 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराया गया। इसमें मल्लिकार्जुन खरगे को पार्टी को कमान मिली।
दरअसल, खरगे कांग्रेस पार्टी का एक प्रमुख दलित चेहरा होने के साथ ही कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता भी है। आमतौर पर खरगे की पहचान समझौतावादी नेता के तौर पर होती हैं। वे आम सहमति के साथ सभी को लेकर चलने की कोशिश करते है। फिर चाहे वह कांग्रेस का अंदरुनी मामला हो या फिर इंडिया गठबंधन से जुड़ा को मुद्दा हो। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में उनके इस रुख से कांग्रेस को काफी फायदा हुआ है। खड़गे की अगुवाई में ही कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के साथ सीट शेयरिंग का समझौता किया। कांग्रेस को कई प्रदेशों में समझौतावादी रुख अपनाना पड़ा। इसी का असर भी इन चुनावों में देखने को मिला। जो कांग्रेस साल 2014 और 2019 के चुनावों के मुकाबले इस बार बेहतर प्रदर्शन करते हुए नजर आ रही है।