निर्जला एकादशी का उपवास करते हुए तबीयत न हो खराब, रखें इन बातों का ध्यान
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में निर्जला एकादशी व्रत किया जाता है। इस व्रत का काफी महत्व है। इस वर्ष निर्जला एकादशी 18 जून, मंगलवार को है। इस व्रत में पानी भी नहीं पिया जाता है और निर्जला ही उपवास करते हैं। गर्मियों में पानी या तरल पदार्थ शरीर और सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी पर्याप्त पानी पीते रहने की सलाह देते हैं। ऐसे में भीषण गर्मी में बिना पानी पिए निर्जल उपवास करना कठिन हो सकता है और सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।
फिर भी अगर व्रत करने की इच्छा है, तो सेहत का ध्यान रखते हुए उपवास करें। सबसे पहले तो ये सुनिश्चित करें कि क्या आपका शरीर उपवास करने में सक्षम है। किसी तरह की कोई स्वास्थ्य समस्या हो तो डॉक्टर की सलाह से ही व्रत रखें। निर्जला उपवास की बजाए पानी पीकर व्रत कर सकते हैं। अगर निर्जला व्रत रख रहे हैं तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें ताकि उपवास के दौरान कठिनाई न आए और सेहत भी खराब न हो।
दही या नारियल पानी पीकर रखें व्रत
उपवास करने से पहले दही का सेवन करें या नारियल पानी पीएं। नारियल पानी शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है और दही खाने से अधिक प्यास नहीं लगती है। निर्जला उपवास से पहले दही या नारियल पानी का सेवन करने से व्रत के दौरान ज्यादा प्यास नहीं लगेगी।
धूप से बचें
उमस भरी गर्मी और धूप के कारण शरीर में पानी की कमी होने लगती है और बहुत अधिक प्यास लगती है। व्रत के दौरान आप प्यास पर तो काबू कर लेते हैं, लेकिन शरीर को पानी की जरूरत महसूस होती है, जिसे पूरा न करने पर चक्कर आना, सिर दर्द होना जैसी समस्याएं हो सकती है। इससे बचने के लिए प्रयास करें कि धूप व गर्मी से बचें ताकि अधिक प्यास न लगे और शरीर से पसीना कम बहे और पानी की जरूरत कम महसूस हो।
थकान से बचें
शारीरिक सक्रियता के कारण थकान महसूस होती है। थकावट को कम करने के लिए शरीर पानी मांगता है। उपवास में अगर आप पानी नहीं पी सकते हैं तो शारीरिक सक्रियता कम रखें। ज्यादा मेहनत वाला या थकावट वाला काम न करें। आराम करें ताकि शरीर की स्फूर्ति बनी रहे और प्यास कम लगे।
स्नान करें
अगर उपवास के दौरान प्यास लगे या गर्मी और थकान महसूस करें तो हल्के ठंडे पानी से स्नान कर सकते हैं। नहाने से शरीर को ठंडक महसूस होती है और प्यास कम लगती है।