डायरिया रोकथाम अभियान की शुरुआत, जानिए कैसे करें इस खतरनाक रोग से बचाव
डायरिया (दस्त) की समस्या सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करने वाली मानी जाती है, बच्चों में इसका खतरा अधिक देखा जाता रहा है। डायरिया, भारत में बाल मृत्यु दर का तीसरा प्रमुख कारण भी रहा है। 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में प्रति वर्ष होने वाली कुल मृत्यु में से 13% के लिए इसे ही जिम्मेदार माना जाता है। बच्चों में हर साल रिपोर्ट की जाने वाली इस समस्या की रोकथाम को लेकर सरकार पुरजोर कोशिश कर रही है। इसी क्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने सोमवार (24 जून) को दिल्ली में ‘स्टॉप डायरिया कैंपेन 2024’ का शुभारंभ किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “यह पहला कार्यक्रम है जिसे हम सत्ता में आने के बाद शुरू कर रहे हैं। इससे पहले स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार को लेकर साल 2014 में हमने ‘मिशन इंद्रधनुष’ शुरू किया था 2024 में हम अभियान की अवधि को एक पखवाड़े से बढ़ाकर दो महीने कर रहे हैं। साल 2014 में मृत्यु दर प्रति 1000 जीवित बच्चों पर 45 थी जो अब घटकर प्रति 1000 जीवित बच्चों पर 32 रह गई है।
डायरिया का खतरा
डायरिया रोग, भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक है, विशेषतौर पर शिशुओं और छोटे बच्चों में इसका खतरा अधिक देखा जाता रहा है। भारत जैसे विकासशील देशों में ये बड़ा जोखिम बन गया है।
दिन में 3 या उससे अधिक बार पतला या तरल मल त्याग को डायरिया कहा जाता है। अगर समय पर इसका इलाज न हो पाए तो इससे बुखार या खूनी मल जैसी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। डायरिया में शरीर से पानी अधिक निकल जाने के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
क्यों होती है डायरिया की समस्या
दस्त का मुख्य कारण वायरस या बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है जो आपके पेट को संक्रमित करता है। वयस्कों में दस्त का सबसे आम कारण नोरोवायरस है जो गैस्ट्रोएंटेराइटिस का कारण बनता है। रोटावायरस बच्चों में होने वाले दस्त का सबसे आम कारण है।दूषित खाद्य और पेय पदार्थों के कारण आप फूड पॉइजनिंग के शिकार हो सकते हैं, इससे भी डायरिया का खतरा बढ़ जाता है। मानसून के दिनों में दस्त की समस्या अधिक देखी जाती रही है।
डायरिया से कैसे बचाव करें?
डायरिया से बचाव के लिए जरूरी है कि संक्रमण का कारण बनने वाले स्रोतों से बचकर रहें। शौच के बाद और भोजन को पकाने-खाने से पहले और बाद में हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोएं। इसके अलावा रोटावायरस वैक्सीन आपको रोटावायरस संक्रमण से बचाने में मदद करती है, जो दस्त का एक सामान्य कारण है। फूड पॉइजनिंग के कारण होने वाले पेट के संक्रमण से बचाव के लिए भोजन के रखरखाव पर भी विशेष ध्यान देते रहना जरूरी है।