अप्रैल-मई मेंं GDP का सिर्फ तीन फीसदी; शुद्ध कर राजस्व के रूप में 3.19 लाख करोड़ रुपये की कमाई
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा अप्रैल-मई में जीडीपी के अनुपात में सिर्फ तीन फीसदी या 50,615 करोड़ रुपये रहा। 2023-24 के अप्रैल-मई में यह बजट अनुमान का 11.8 फीसदी रहा था। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने इसे जीडीपी के 5.1 फीसदी या 16.85 लाख करोड़ रुपये पर रखने का लक्ष्य रखा है। महालेखा नियंत्रक की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, शुद्ध कर राजस्व 3.19 लाख करोड़ रुपये रहा है या 2024-25 के बजट अनुमान का 11.8 फीसदी रहा। एक साल पहले समान अवधि में यह 11.9 फीसदी रहा था।
सरकार पर 172 लाख करोड़ देनदारी
सरकार पर कुल देनदारी इस साल मार्च तक 3.4 फीसदी बढ़कर 171.78 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। दिसंबर अंत तक यह 166.14 लाख करोड़ थी। समीक्षाधीन तिमाही में सार्वजनिक कर्ज सकल देनदारियों का 90.2 फीसदी था। वित्त मंत्रालय ने कहा, अंतरिम बजट में घोषित उधार योजना के उम्मीद से कम रहने के चलते घरेलू बॉन्ड के रिटर्न में नरमी आई।
कुल खर्च 6.23 लाख करोड़
सरकार का कुल खर्च मई अंत तक 6.23 लाख करोड़ या चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान का 13.1 फीसदी रहा है। एक साल पहले 13.9 फीसदी था। राजकोषीय घाटा 2023-24 में जीडीपी का 5.6 फीसदी था।
बुनियादी ढांचा उद्योगों की वृद्धि दर 6.3 फीसदी
कोयला, प्राकृतिक गैस व बिजली क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से मई, 2024 में देश के आठ प्रमुख बुनियादी ढांचा उद्योगों की वृद्धि दर 6.3 फीसदी रही। अप्रैल में इन क्षेत्रों का उत्पादन 6.7 फीसदी बढ़ा था। आंकड़ों के मुताबिक, कोयला, प्राकृतिक गैस और बिजली उत्पादन की वृद्धि दर क्रमशः 10.2 फीसदी, 7.5 फीसदी और 12.8 फीसदी रही। हालांकि, उर्वरक, क्रूड और सीमेंट के उत्पादन वृद्धि में गिरावट रही। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, इन उद्योगों की वृद्धि दर लगातार चौथे माह 6 फीसदी से ऊपर रही, लेकिन मई में थोड़ी गिरावट आई।