राष्ट्रपति चुनाव में विक्रमसिंघे के समर्थन में विपक्ष के सांसद; गुस्साई SLPP ने दी कार्रवाई की धमकी
श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव 21 सितंबर को होने वाले हैं। मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे एक बार फिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में है। इस बीच एक जानकारी सामने आई, जिससे सियासी गलियारों में हलचल पैदा हो गई। दरअसल, राजपक्षे की श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी या पीपुल्स फ्रंट) पार्टी के कम से कम 75 सांसदों ने विक्रमसिंघे के फिर से चुनाव लड़ने के फैसले का समर्थन किया है। इसपर एसएलपीपी ने अपने सांसदों पर कार्रवाई करने की धमकी दी है।
एसएलपीपी ने राष्ट्रपति विक्रमसिंघे का समर्थन नहीं करने का लिया फैसला
श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट (एसएलपीपी, जिसे स्थानीय रूप से इसके लोकप्रिय सिंहली नाम से भी जाना जाता है और श्रीलंका पोदुजना पेरामुना) ने राष्ट्रपति विक्रमसिंघे का समर्थन नहीं करने और इसके बजाय राष्ट्रपति चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है। बता दें, 75 वर्षीय विक्रमसिंघे ने पिछले सप्ताह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी।
श्रीलंका पोदुजना पेरामुना के महासचिव सागर करियावासम ने सोमवार को पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा, ‘एसएलपीपी पार्टी की बैठक में चुनाव चिह्न फूल की कली के तहत अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने का फैसला लिया है।
साल 2022 में बदली थी राजनीतिक तस्वीर
एसएलपीपी तब से अव्यवस्था में है, जब पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे को 2022 के लोकप्रिय विद्रोह के बाद आर्थिक संकट से निपटने में असमर्थता के कारण पद से हटा दिया गया था और उन्होंने तब संसद में विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति बनने के लिए समर्थन दिया था।
रक्षा राज्य मंत्री ने किया राष्ट्रपति का समर्थन
रक्षा राज्य मंत्री प्रेमिता बंडारा तेनाकून ने सबसे पहले एलान किया कि वह पार्टी के फैसले के बावजूद राष्ट्रपति पद के लिए विक्रमसिंघे का समर्थन करेंगे। इसके बाद एसएलपीपी ने जब घोषणा की कि वह अलग चुनाव लड़ेगी तो पार्टी के सांसदों के एक बड़े समूह ने विक्रमसिंघे का समर्थन करने का फैसला लिया।
एसएलपीपी सांसद प्रेमनाथ सी डोलेवट्टा ने कहा, ‘हमारे समूह में 75 से अधिक एसएलपीपी सांसद हैं, जो राष्ट्रपति का समर्थन कर रहे हैं।’
इस बीच, मंगलवार को विक्रमसिंघे ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि वह उन लोगों के आभारी हैं, जिन्होंने 2022 में श्रीलंका के दिवालिया होने के बाद अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की दिशा में काम करने के लिए उनके साथ गठबंधन किया।