मलबे में दफन हुईं कई जिंदगियां, मंडराने लगा जान का खतरा, पीड़ितों ने सुनाई अपनी दास्तां
वायनाड: केरल के वायनाड में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन ने तबाही मचा दी। कई घर और जिंदगियां मलबे में दब गई। इस हादसे के बाद अब जीवित लोगों पर भी जीवन भर का संकट मंडराने लगा है। अपने प्रियजनों को खोने और अनिश्चित भविष्य के बारे सोचते हुए पीड़ितों ने चिंता जताई। 30 जुलाई को वायनाड में हुए इस भूस्खलन को लेकर कुछ लोगों ने अपना अनुभव भी साझा किया। पत्रकारों से बात करते हुए स्थानीय निवासी प्रजनीश ने बताया कि उन्होंने लोगों के चिल्लाने की आवाज सुनी। चार बार भूस्खलन हुआ।
प्रजनीश ने आगे कहा, “आधी रात करीब 12:40 बजे पहला भूस्खलन हुआ। हमने बहुत तेज आवाज सुनी। इस भूस्खलन में मेरे परिवार के तीन सदस्यों ने जान गंवा दी। अब हम कैंप में रह रहे हैं और फिलहाल सुरक्षित हैं। हम आठ लोग हैं। मेरी मौसी और उनके परिवारवाले पीछे छूट गए।”
पीड़ितों ने सुनाई अपनी दास्तां
एक पीड़िता ने इस हदसे का जिक्र करते हुए हुए कहा, “मैं अपने घर में अकेले थी। रात में मुझे ऐसा लगा कि मेरा पलंग हिल रहा है। जोर-जोर से आवाजें आ रही थी। मैंने अपने पड़ोसियों को फोन किया, लेकिन किसी ने कॉल नहीं उठाया। मैंने अपने बेटे को फोन लगाया, जो कोयंबटूर में रहता है। उसने मुझसे कहा कि घर के सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर चले जाओ और वहीं इंतजार करो। मैं दरवाजा खोल नहीं पाई, क्योंकि वह जाम हो चुका था। मैं मदद के लिए चिल्लाई।
कुछ देर बाद लोगों ने कुल्हाड़ी से दरवाजा तोड़कर मुझे बचा लिया। जब दूसरी बार भूस्खलन हुआ, जब मेरा भी घर उसमें ढह गया। मेरे रिश्तेदार मुंडक्कई में रहते हैं। उन सभी की मौत हो गई और उनमें से केवल दो का ही शव मिल पाया है। बाकी के छह-सात शव अभी भी गायब है। वर्तमान समय में मेरे पास घर नहीं है। मैं नौकरी के लिए भी नहीं जा सकती हूं। मैं अब अपना घर नहीं बना सकती हूं। मुझे नहीं मालूम कि मैं क्या करूंगी।”
डॉक्टर हसना ने इस हादसे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं इस राहत शिविर में इसलिए आई हूं, क्योंकि सुबह कई लोग अस्वस्थ महसूस कर रहे थे। कई लोगों को सिर दर्द और उच्च रक्तचाप की समस्या हो रही है। हमने उन्हें दवाइयां दे दी है, लोग सदमे में है, इसलिए पहले के तीन दिन हम कुछ नहीं कर सकते हैं। उनके सामान्य होने पर ही हम इलाज शूरू करेंगे”