कांग्रेस ने माधबी पुरी बुच को ICICI बैंक से मिली सैलरी पर फिर उठाया सवाल, सेबी से भी मांगा जवाब
सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर लगे आरोपों पर कांग्रेस एक बार फिर हमलावर हो गई है। अब पार्टी ने आईसीआईसीआई बैंक से रिटायरमेंट के बाद बुच को दी गई राशि पर सवाल उठाया है। मंगलवार को सेबी चेयरमैन के खिलाफ आरोपों पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “उनका सेवानिवृत्ति लाभ आईसीआईसीआई में रहने के दौरान उनके वेतन से अधिक कैसे हो सकता है? अब हम मांग करना चाहते हैं कि सेबी को सफाई देनी चाहिए, स्पष्टीकरण देना चाहिए और हमारे आरोपों का जवाब देना चाहिए।” पवन खेड़ा ने कहा कि सेबी प्रमुख पर लगे आरोपों से देश में बड़ी संख्या में निवेशकों का भरोसा डिगा है। इसलिए सेबी को इस मामले में खुद से सामने आकर स्थिति साफ करनी चाहिए।
कांग्रेस ने आईसीआईसीआई बैंक के इस दावे पर सवाल उठाया कि उसने सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद कोई वेतन या ईएसओपी नहीं दिया और पूछा कि अगर उन्हें दी गई राशि “सेवानिवृत्ति लाभ” थी, तो यह उनकी सैलरी से भी अधिक कैसे थी। विपक्षी दल ने सोमवार को बुच के खिलाफ हितों के टकराव के नए आरोप लगाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी नियुक्ति पर कैबिनेट की नियुक्ति समिति के प्रमुख के रूप में सफाई देने को कहा।
सेबी में रहते हुए आईसीआईसीआई बैंक से भी लाभ लेने का आरोप
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बुच के 2017 में पदभार संभालने के बाद से, वह न केवल सेबी से वेतन ले रही हैं, बल्कि आईसीआईसीआई बैंक में भी लाभ का पद संभाल रही हैं।खेड़ा ने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक का दावा है कि बुच को भुगतान की गई राशि बैंक में उनके काम करते हुए अर्जित की गई थी और यह उनका “सेवानिवृत्ति लाभ” है। उन्होंने पूछा कि यह तथाकथित “सेवानिवृत्ति लाभ” अपनी आवृत्ति और राशि दोनों के संदर्भ में असमान क्यों है। खेड़ा ने एआईसीसी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह सवाल पूछा।
खेड़ा ने कहा, “भले ही हम यह मान लें कि 2014-2015 में (उनकी सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद) आईसीआईसीआई से उन्हें मिले 5.03 करोड़ रुपये उनके सेवानिवृत्ति लाभ का हिस्सा थे और उन्हें 2015-2016 में कुछ भी नहीं मिला , फिर भी यह तथाकथित सेवानिवृत्ति लाभ 2016-2017 में फिर से क्यों शुरू हुआ और 2021 तक जारी रहा?”