सांसदों-विधायकों के खिलाफ करीब 5000 लंबित मामले, शीघ्र निपटान के लिए दिशानिर्देश की मांग

नई दिल्ली: पूर्व और मौजूदा सांसदों-विधायकों के खिलाफ करीब 5,000 मामले लंबित है, जिनके शीघ्र निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से दिशानिर्देश की मांग की गई है। शीर्ष कोर्ट की ओर से एमिकस क्यूरी नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने दलील दी कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई में देरी हो रही है, क्योंकि उनके पास जांच और कोर्ट में प्रभाव डालने की शक्ति है। इसके कारण लंबित मामलों का निपटान नहीं हो रहा है, जिससे हमारे लोकतांत्रिक ढांचे पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।

मौजूदा 541 संसद सदस्यों में से 251 पर आपराधिक मामले’

हंसारिया ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ एक जनवरी 2025 तक 4,732 आपराधिक मामले लंबित थे, जिनमें 892 मामले 2024 में दर्ज किए गए थे। उन्होंने यह भी बताया कि लोकसभा के मौजूदा 543 सदस्यों में से 251 पर आपराधिक मामले हैं, जिनमें से 170 मामले गंभीर अपराधों से जुड़े हैं, जिनकी सजा पांच साल या उससे अधिक हो सकती है।

‘तीन साल से ज्यादा समय से लंबित मामलों की हो हर दिन सुनवाई’
उन्होंने कहा कि विशेष अदालतों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों में सुनवाई अन्य सामान्य मामलों के साथ होती है, जिससे देरी होती है। उन्होंने शीर्ष कोर्ट से यह भी अपील की कि मामले तीन साल से अधिक समय से लंबित होने पर उनकी प्रति-दिन सुनवाई की जाए और दो बार सुनवाई में हाजिर न रहने वाले आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें विशेष अदालतों को इन मामलों को प्राथमिकता देने के लिए कहा गया था।

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