‘बेतुका बयान’, इस ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ने कोहली से बाबर की तुलना पर जताई नाराजगी, कही यह बात
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व स्पिनर ब्रैड हॉग ने कहा है कि बाबर आजम के खराब फॉर्म की तुलना विराट कोहली से नहीं की जानी चाहिए। हॉग ने बाबर आजम को पाकिस्तान टेस्ट टीम से बाहर किए जाने के बाद उनके फैंस द्वारा किए जा रहे पोस्ट पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर विराट कोहली के खराब फॉर्म से बाबर के खराब फॉर्म की तुलना पर अपने तर्क साझा किए। दरअसल, रविवार को पाकिस्तान के बल्लेबाज फखर जमां ने भी ट्विटर पर पोस्ट कर इस तुलना को हवा दी थी। उन्होंने पोस्ट कर लिखा था कि भारत ने कोहली के खराब फॉर्म के बावजूद उन्हें कभी बाहर नहीं किया। फखर ने बाबर को पाकिस्तान के अब तक के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक बताया और कहा कि खिलाड़ी को बाहर करने से टीम में नकारात्मक संदेश जाएगा।
फखर ने लिखा, ‘बाबर आजम को बाहर करने के बारे में सुझाव सुनना चिंताजनक है। भारत ने विराट कोहली को 2020 और 2023 के बीच उनके कठिन दौर के दौरान बेंच नहीं किया। तब उनका औसत 19.33, 28.21 और 26.50 का रहा था। अगर हम अपने प्रमुख बल्लेबाज, जो कि पाकिस्तान के इतिहास के अब तक के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक है, उसे दरकिनार करने पर विचार कर रहे हैं, तो यह टीम में गहरा नकारात्मक संदेश भेज सकता है। पैनिक बटन दबाने से बचने के लिए अभी भी समय है। हमें अपने प्रमुख खिलाड़ियों को कमतर आंकने के बजाय उनकी सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।’
हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व स्पिनर ब्रैड हॉग का इस मामले पर पूरी तरह से अलग रुख था और उन्होंने कहा कि बाबर और विराट के खराब फॉर्म की तुलना नहीं की जानी चाहिए क्योंकि पाकिस्तान क्रिकेट टीम के परिणाम भारतीय टीमों से बिल्कुल अलग हैं। हॉग ने कहा कि विराट के उतार-चढ़ाव के दौरान, भारत दुनिया की दूसरी सर्वश्रेष्ठ टीम थी, जबकि बाबर के उतार-चढ़ाव के दौरान, पाकिस्तान दूसरी सबसे खराब टीम है। हॉग का मानना था कि मुश्किल समय में कड़े फैसले लेने की जरूरत होती है।
हॉग ने ट्वीट किया, ‘इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट के लिए पाकिस्तान के दिग्गज को बाहर किए जाने के बाद बाबर आजम और कोहली के बीच खराब फॉर्म की तुलना करना आधारहीन है। भारत कोहली के खराब दौर के समय दूसरी सर्वश्रेष्ठ जीत प्रतिशत वाली टीम थी। पाकिस्तान बाबर के माध्यम से दूसरी सबसे खराब जीत प्रतिशत वाली टीम है। कठोर फैसले लेने की जरूरत है!’