अडानी पोर्ट्स का कार्गो प्रबंधन 10 वर्षों में चार गुना बढ़ा, एकाधिकार का ख़तरा
एक मीडिया रिपोर्ट में सामने आया है कि देशभर में 14 बंदरगाहों और टर्मिनलों के साथ अडानी समूह भारत के बंदरगाहों से गुजरने वाले सभी कार्गो का एक चौथाई हिस्सा संभालता है.इंडियन एक्सप्रेस की एक विशेष रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत की 5,422 किलोमीटर लंबी तटरेखा पर, अडानी की उपस्थिति औसतन हर 500 किमी पर है, जो 10 साल पहले देश के सुदूर पश्चिमी छोर तक सिमटी थी.’10 वर्षों में अडानी पोर्ट्स द्वारा ढोया जा रहा माल वित्त वर्ष 2023 में लगभग चार गुना बढ़कर 337 मिलियन टन हो गया. बंदरगाह उद्योग की 4 फीसदी वार्षिक वृद्धि की तुलना में यह 14 फीसदी की वृद्धि है.
एक पूर्व प्रतिस्पर्धा नियामक सहित तीन शीर्ष अधिकारियों ने पिछले 10 वर्षों में अडानी के अभूतपूर्व विस्तार पर प्रकाश डालते हुए बंदरगाह उद्योग बाजार पर एकाधिकार के जोखिमों को चिह्नित किया है.अखबार ने अपनी पड़ताल में कहा है कि अगर अडानी की हिस्सेदारी हटा दी जाए तो उद्योग की वृद्धि का आंकड़ा बमुश्किल 2.7 फीसदी रह जाता है.कुल माल ढुलाई में समूह की बाजार हिस्सेदारी 2013 के लगभग 9 फीसदी से बढ़कर 2023 में तीन गुना लगभग 24 फीसदी हो गई है. वहीं, केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित बंदरगाहों की संख्या 2013 के 58.5 प्रतिशत से घटकर लगभग 54.5 प्रतिशत हो गई है.
अखबार ने बताया है कि जो बंदरगाह केंद्र सरकार के अधीन नहीं हैं, वहां अडानी की बाजार हिस्सेदारी 50 फीसदी के आंकड़े को पार कर गई है. इसलिए, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (एपीएसईज़ेड) का तटीय नेटवर्क केंद्र सरकार के 12 से अधिक बंदरगाहों के साथ प्रतिस्पर्धा करता है.अखबार द्वारा कहा गया है, ‘वास्तव में, बंदरगाह क्षेत्र में अडानी समूह की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि का एक हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित बंदरगाहों की कीमत पर आया है, जिनकी माल ढुलाई की हिस्सेदारी में गिरावट आई है.’आर्थिक मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि ‘यह चिंता का विषय है.’
उसी अधिकारी ने अख़बार को बताया, ‘इस तरह का विकास मॉडल बढ़ते एकाधिकार के जोखिम को लेकर चिंताओं को बढ़ाता है.’रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम से पूर्व तक पूरे समुद्र तट पर एक ही समूह के बढ़ते प्रभुत्व से शिपिंग कंपनियों के लिए, विशेष रूप से कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में, समस्या खड़ी हो जाएगी.आर्थिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी, जिन्होंने नाम न छापने का अनुरोध किया, ने आगे बताया कि शिपिंग जैसे महत्वपूर्ण उद्योग में इस बाजार एकाधिकार के संबंध में जिसने चिंता बढ़ाई है, वो अडानी समूह पर लगे लेखांकन धोखाधड़ी और स्टॉक हेरफेर से संबंधित आरोप हैं.बता दें कि यह आरोप इस साल जनवरी में अमेरिकी शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने लगाए थे. अडानी समूह ने इन आरोपों से इनकार किया था.